मनके आवाज
गजल - १३
अत्याचारके बिरुद्दम हम्र सक्कु ठारु उठि सँघारी ।
हमार समाज विकासके लाग चारओर जुटि सँघारी ।
एकतामे बल रहठ कठ भारि काम करकलाग ,
डाडु भैया सक्कु मिलके एक माला गुँठि सँघारी ।
हमार बुबा डाइ बाबा किउफे पह्र लिख नैसेक्ल ,
भित्रि आँख उघारकलाग शिक्षाके ग्ान लुटि सँघारी ।
सक्कु जाटि चलाख होके बिकासके चुलिम पुग्गिल,
चुरोट जाँर डारु पिना मसे हम्र सब्जे छुटि सँघारी ।
उँच खाल सक्कुओर हम्र माटि जोँट्टि बाटी ,
पसिनाके डिब्या डान आपन मिलम कुटि सँघारी।
अशोक रस्टेटेह्वा...✍️
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