घर फुटे, गवाँर लुटे कना कहकुट् जब झग्गर ओ अमेल हुइट् टब इ कहकुट् मनैनके मुहेम से निकरट् । इ कहकुट् जरुर कोइ झग्गर मिलैना पुर्खा बनाइल हुँहिं । काहे कि झग्गर डेहे नाहि लेहे आइट जुटाइ नाहि लुटाइ आइट कठैं ।
बाट पटहुवा डेहरिक हो । इ डेहरिक नाउँ पटहुवा काहे परल हो ? बहुट मनैनके सोचाइ आइसेकट् । पाटा से सम्बन्ध रलक मारे पटौह्वा डेहरि कहगिल हो । पाटा कलक थारुनके घरक् डिउँटनके ठानहे कहिजाइट् । पटहुवा डेहरि घरक सब्से मुख्य मानजाइट् इ डेहुरार कोन्टिम किल रहट् इ डेहरि हरेक थारुनके घरेम जरुर रना डेहरि हो ।
जैठो घर टैठो पटहुवा डौहरिके जलम हुइठिस । थारुनके चलन मे घर फुटेबर मजा मनले माना बाँटट् कमे डेखजाइट् । ढेर जसिन सुनजाइट ओ डेख्जाइट् घर फुट्ना हुइलेसे कोइ भैया रिसक् मारे डेहरि फोरल । डेहरि फोरल माने घर फुटल् हो उहाँ माना बट्ना जरुरि होगिल सम्झे परट् । इ चलन पहिलहिं से चल्टि आइल सुनजाइट् ओ डेख्जाइट् । मने पटहुवा डेहरि कोइनै फोरे सेकट् काहेकि इ डेहरिक सम्बन्ध डेउटनके पाटासे रहट् । इ डेहरिक अनाज कोइ भैया बाटे नै पाइट् मने कोइ कोइ ठाउँ बाँटल फेन डेख्जाट् टर इ डेहरिक अनाज चेलिबेटिनहे डान डेना चलन बा ।
घर फुट्ना खुशिक बाट् नै होके डु:खके बाट हो । भारि डु:ख उठाके निप् पोट् करल घर एक एक मुठ्ठा माटिले पारल डेहरि कुठ्ला सब फुट्जैठिन । कोइ जन्नि नै चाहट् कि डु:ख उठाके बनुवम से माटि कोरके नानके एकएक मुट्ठा माटि चप्टा चप्टाके बनाइल घर ओ डेहरि कुठ्ला फुटे कना हर जन्निनके पस्टो लग्ना बाट हो ।
डेहरि सिरजैना पहिला जन्नि केहो उ टे पटा करे नै सेक्जाइ मने इ बनैना अक्किल छोटमोट् कुम्हनिया से सिखल मानजाइट् । कुम्हनिया से सम्बन्धमे बहुट् खिसा कहानि गित सुने मिलट् । जस्टक कुहन्या बरे डुर डुर से माटि कहारके बोक्के लनठैं ओसहके जन्निन हे फेन डेखजाइट् लडिया टलुवामेसे माटि कहारके लानके घर निपट् डेहरि कुठ्लि चुल्हि चुल्हा पारट् । कठै घर जन्निनके हो जन्नि रठैं टे घर ओजरार रहट् घर घोट्टैल रहट् ।
डेहरि कुठ्ला घरेम अनाज ढर्ना भाँरा हो एकर थारुनके घरेम ढेर भुमिका रठिस एकठो थारुनके घरक पहिचान कराइट् । बाहर जसिन रलेसे फेन भिट्टर डेहरि कुठ्ला डेख्लेसे थारुनके नाउँ आजाइट् । डेहरि कुठ्ला घरक् कोन्टि अल्गोइना भिटक् खान फेन करट् । रुपया पैसा बचैना सजिलो ओ बर्सौं सम टिकाउ रना चिज हो डेहरि कुठ्ला । हरेक परयार के कोन्टिम एक बरस खाइ पुग्ना डु टिनठो डेहरि रठिन सुक्कु डेहरि भरल रलेसे जानमिल्ना हुइट् कि इ साल खाइ पुगि कि नाहि । अनाजक् नाप कर्ना भाँरा फेन कहजाइट् डेहरि हे ।
थारुनके घरेम साल भरिक खैना पुगि कि नै पुगि डेहरि से पटा चल्ना रहट् । डेहरि एक्के नास नै रहट् कोइ छोट् कोइ भारि रहट् । डेहरिक नाउँ फेन रटिस मुरकटिया, घेचहुवा, जबरा, कुठ्लि अस्टे । डिजाइन फेन मेरमेरिक् डेख्जाइट् हेर्ना मे सुहावन घोट्टैल रहट् । डेहरि फेन एकठो कला हो हरकोइ पारे नै जन्ठैं, करिब डु इन्च बराबरके ठुलके बनाइल डेहरि बरे टरिका से बनाइल रहट् । डेहरि पर्ना महिनो डिन लागे सेकट् कहेकि गिलगिल चिक्तार माटिन धानक् पैरक् बुसि सानके बनाइल रहट् । माटि गिलिगिल रकल मारे मुट्ठा लगाइल माटि आँखर हुइडेहेपरट् । डेहरि चौखुट् ढेंग चार ओ ढेंग रहट् , कुठ्लि जुन चौखुट् गुल्यार ओ छोट् रहट् ।
बाट आइल पटहुवा डेहरिक् । आबक् पु्स्टामे आके पटहुवा डेहरि नै होके कुठ्ली, जबरा, डराज ढारल डेखा परट् इ चिज पाटा मे सोभा डेहल नै बिल्गाइट् । मनैनके मन ओ बिचार संगे काम फेन फरक बिल्गाइट् । अपन पुरान चिजके पहिचान काराई नै से्कलेसे लावा पुस्टा कसिन जानहि ओ चिन्हि अपन पुर्खौली रिटिभाँटि, चालचलन । डेहरि कुठलासे सम्बन्धी बहुटसे कठा कहानि खिस्सा सुने मिलट् मने डेहरि कुठ्ला कसिन हरट कना डिन आइ ना परे ।
ढरिरे गाउँ घरक् रुपरंग फेरट डेखापर्टि बा । पुरान पुर्खान के बेल्सल चिज डेख्लेसे हरेक मनेम एक घचिक् कवाके सोच्ना बाध्य कराडेहट् । कसिक, कब, कहाँ, काहे, कना प्रस्न जरुर पैडा होजाइट् । कसिन रहल हुइ उ समय मे मनैनके जिन्गि कटि मै संगम ओल्टार हुइटुँ । मोर बिचार कसिन लागल मन परि कलसे जरुर सेयर लाइक करके कमेन्ट म अपन एक डु शब्द लिक्के सोभा कराडेबि । धन्यवाद!