संस्मरण
कोलकाहा गजल प्रशिक्षण
९औं थारू साहित्य राष्ट्रिय सम्मेलनमे सहभागी हुइकलाग मै टीकापुरसे दौलतपुर घाट हुइटी सोहरया गाउँओर लग्नु । फागुन महिना थारू समुदायके लाग घर बनैना विशेष समय हुइन, यहे सन्दर्भमे सोहरया गाउँमे डेहरी(कुठ्ली ढारल डेख्नु । यी थारू समुदायके मौलिक परम्पराके महत्वपूर्ण अंश हो, जोन लावा घरक जग बैठैनासे आघे ढारजाइट । यी दृश्य कैद करकलाग मै कुछ भिडियो फेन खिच्नु ।
सोहरया गाउँ हुइटि ५ बजे टीकापुर हुइटि हम्रे ठिक्के ६ बजे जोतपुर पुग्लि। जब उहाँ पुग्ली टे, मन्त्री डा। गोपाल दहित, कोपिला डाजु, शिवाहर दाजु, गणेश सर लगायतके सम्माननीय व्यक्तित्वहुक्रे पहिलहिं आसेकल पटा पैनु ।
मोर संघरिया सागर जुन पहिलहि युनिक नेपाल संस्थाके भवनमे आसेकल रहिंट । सन्झा होसेकल रहे । वहाँ भतअत सर ओ डिर्घा सर फोटो तथा भिडियो खिच्टहिट । कुछ संघरियन गाउँ घुमे निकरलै, कोइ डा। गोपाल दहित सरके घर चियापानके लाग गैल रहिंट । हम्रे फेन वहै गैली, जहाँ भतअत सर सागरहे बलैलेरहिन। चाह पिके हम्रे खैनापिना ठाउँ गैली ।
बेरि खाके हम्रे युनिक नेपाल संस्थाके सभाहलमे गैली, जहाँ हमार सुत्ना व्यवस्था कैलरहे । वहाँ काल्हिक कार्यक्रमबारेम् सरसल्हा कर्ली । कार्यक्रमहे व्यवस्थित बनैनम् सोम डेमनडौरा सर टाइम सेड्युल ओ सेसनबारे विस्तृत जानकारी करैलै । टबपाछे सबजे सुट्ली ओ काल्हिक् महत्त्वपूर्ण डिनके लाग तयारी कर्ली ।
बिहान उठ्के चियापान हुइल । कोइ संघरियन गाउँ घुमे निक्रलैं । मै जुन जोतपुरमे अक्ली परगैनु, ओहेमारे संघरिया सागरहे फोन कैलु । उ बर्गदही गाउँओर गइसेकल रहिंट । मै फेन मोटरसाइकल स्टार्ट कैलु ओ बर्गदहीओर लग्नु ।
बर्गदही गाउँम पुग्के सक्कुनहुन भेट कर्नु । ओहाँसे आउर संघरियन जोतपुर कार्यक्रमओर लग्नै, मने सागर ओ मेर जुन अल्लु अर्जुनके घरेओर लग्नु, जहाँ गजल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजना कैगिल रहे ।
गजल प्रशिक्षणमे संगम सर जो कञ्चनपुरसे साइकलमे यात्रा कैके आइल रहिट, अस्टके साहित्यकार अंकर, सुन्तु, सुनिता, महेशराम तोहार प्यारा, सबिना लगायतके थारू साहित्यमे योगदान पुगैटि आइल संघरियन उपस्थित रहिट । अल्लु अर्जुन शारीरिक रूपमे अपांगता रलेसेफेन उहाँके मेहनत, साहित्य प्रतिके लगाव ओ सक्रियतासे सक्कुन प्रेरित करैलेरहे । गजल प्रशिक्षणके नेतृत्व सागर कुश्मी सर कैलेरहिंट ।
कोलकाहा गजल प्रशिक्षण ओराइल पाछे हम्रे ९औं थारू साहित्य राष्ट्रिय सम्मेलन ओर लग्ली । यी सम्मेलन केवल साहित्यिक भिरभार किल नै रहे, यी थारू भाषा, साहित्य, कला, संस्कृति संरक्षण ओ प्रवर्द्धन कैना एकठो महत्वपूर्ण अभियान रहे । यी यात्रासे मही थारू समुदायके मौलिकता, आपसी सद्भाव ओ साहित्यिक चेतनाके गहिर अनुभव कैना अवसर प्रदान करल । मै ३ रोजके कार्यक्रम ओरवाके १७ गते घरेओर लग्नु । ओराइल ।
- रामचरण चौधरी,अजराइल