मनके आवाज
गजल - २२
पिरतिके फुलरियम फुल्नास मन लागल ।
टुहाँर हाट पकरकन डुल्नास मन लागल ।
सपनाम परि बनके म्वार मनहे झकझकैठो,
विपनाम टुहाँर पाछ झुल्नास मन लागल ।
दुःख सु:खम धैर्य कर्खे सक्हुन साथ देना,
टुहाँर मिठास बाटम भुल्नास मन लागल ।
म्वार मनम सजाकन जीवन साथि बनैना ,
दिलके गोप्य बाट खोल्नास मन लागल ।
पिरतिके फुलरियम फुल्नास मन लागल ।
टुहाँर हाट पकरकन डुल्नास मन लागल ।
अशोक रस्टेह्वा...✍️
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