मनके आवाज
गजल २१
गरिब दिन दुखिनके खैना माम ओस्टहे बा ।
आम हर्ताल लोडसेडिङ्ग जाम ओस्टहे बा ।
लौव नेपाल बनल लोकतन्त्र आइल ब्याला ,
आवाज उठैना सब जनताके लाम ओस्टहे बा ।
सबजहन न्याय कर्ना सम्विधान लिख्टिबाट ,
उपर जाके प्याट भर्ना सबके काम ओस्टहे बा ।
सब जहिन हुइ परट खैना लगैना ओ बैठ्ना फे,
विदेसि नाहि स्वदेशि वस्टुके दाम ओस्टहे बा ।
गरिब दिन दुखिनके खैना माम ओस्टहे बा ।
आम हर्ताल लोडसेडिङ्ग जाम ओस्टहे बा ।
अशोक रस्टेह्वा....✍️
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