नमस्ते स्वागत छ यस नयाँ साहित्य रचनामा । धन्यवाद !
लेखकके कलमसे....
आदरणिय सक्कु पाठक वर्ग ज्यु फेनसे राम-राम, नमस्कार ओ साहित्यिक अभिवादन ! स्वागत बा बाँकि रचना मे ।
मनके आवाज
गजल-५
मैया प्रेम से डेलक साच्चि गालि मजा ।
नक्कलि रलसेफे आप्पन सग्ग सालि मजा ।
ओर जहिन मिठ मुस्कान नैडेलसे काहुइल ट,
उहओरसे हुकाहार ओठमे लगैलक लालि मजा ।
मोर लाग उ हेरबेर रहिन काली कालि,
टर महिन हुकाहार फुलाके डाली मजा ।
हुकाहार निश्चल रुपके मै बयान कसिक करु,
तर ओरनके उत्साहके लाग बजैना टालि मजा ।
रुपरंग मजा नैरलसेफे बोली भर मिठास बटिन,
टबक मार कहुँ ट हुकाहार कानके बालि मजा ।
अशोक रस्टेह्वा...✍️
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