लेखकके कलमसे....
आदरणिय सक्कु पाठक वर्ग ज्यु फेनसे राम-राम, नमस्कार ओ साहित्यिक अभिवादन ! स्वागत बा बाँकि रचना मे ।
मनके आवाज
गजल-६
मोर मनहे भिजैना पबित्र साउनके झरि टुँ ।
मोर डिलमे बास करुइया मोर मनके रानी टुँ ।
नागबेलि केस टुहाँर गोहर गोहर गाल बा,
मोर कल्पनमे सड्ड अइना स्वर्गके परि टुँ।
आज नाहि काल नाहि जुनि जुनि मोर बन्ना,
मोर मनेम उरके अइना आकाशके चरि टुँ ।
एक नाहि डु नाहि सक्कु जहिनके टुलनामे,
मनहे खैना जिउहे खैना बहुट मजा सुन्दरी टुँ ।
मोर मनहे भिजैना पबित्र साउनके झरि टुँ ।
मोर डिलमे बास करुइया मोर मनके रानी टुँ ।
अशोक रस्टेह्वा...✍️
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