अटवारी
महा किसान तथा महा वीर भेंवा पाँच पान्डो मनसे मझला भाइ हो । जिहिहे भिम कहिके
चिन्ठैं । भेवक कहानि सुनेवेर अभिन सम आँगक भुट्ला ठेट्कार आँखि जिउगर ओ कान
ठेट्कार होजाइट । उहे भेवा के बारे धेर पुर्खनके मुहेम से सुनल बुझल बाट मै लिखे
जाइटु । कौनो बाट फुह्रन्ने हो कौन लभारे मने मोर सुनल ओ बुझल चौकस लग्ना कुछ बाट
बिट्कोरे जाइटु ।
बाट सुरू करू थारु समुदाय मे अटवारी अटवार के काहे ? इ हे बाटक बारेमे धेर जहनके
कनपट्टिम प्रसन मेर्राइ लग्ठिन । अटवारि कलक का हो ? अटवारी काकरे मनैठैं ?
अटवारीमे थारु पुरुषके सहभागिता किल काकरे ? केकर पुजा करजाइठ ? अग्रासन कलक का
हो ? अस्ते अस्ते धेर मेतिक बाट ।
थारुनके हरेरि पुजा ठनसे ढोल मजिरा गित नाच इन्ट्रि हुइठ ओ देउ दुर्गन नेउटजाइठ्
। उहे दिनसे लावा नाच, लावा तिह्वार के सुरुवाट हुईठ्। गुरहि, अष्टिम्कि पाछे
अइना तिह्वार अतवारी तेसर परखम परठ् । अटवारी पहिले जन्निनके मनैना करिठ् ,
अष्टिम्की जुन थारु । पाछे जन्निन साँट लेलै, थारुनहे दिया लेले नै सोहाइल कहिके
। बटैठैं उहे बेलासे अटवारी थारु सहेरलै कहिके ।
अाजा बुडुनके बटाइ अनसार अष्टिम्की अंधरिया भित्रे परे कलेसे अटवारी ओजरिया के
पहिला अटवार के मनाजाए । मने कौनो साल डु अटवारी हुइपुग्ना । अटवारके किल अटवारी
मनैना हुइलक मारे एक अठ्वार पाछे किल डोसर अटवारी मनैना करिठ् । मने मनौता करल
मनै तीन से पाँच अटवारी मन्ना करिठ् ।
अटवारी कलक काहो कना बाट मे पुर्खा अाजा बुडुनके कहाइ सुनजाइठ् अत्वारके किल मनाइ
मिल्ना तिह्वार हुइलक मारे अत्वारी कहिगिल हो । माहा भारत के पान्डव ओइनमे घटल
घटना ओ ओइनके करल कामके सन्झनम कैके मनाजिना अटवारी खास कैके भेवा ( भिम ) के
बयान ज्यादा कैजाइठ् । गौरा पर्वति ओ महादेउ से जुरल भेवक खेतिपाति करल कहानि के
बयान सुनेमिलठ अटवारि मे । अटवारि भेवक सुरु करल तिह्वार हो फेन कठैं ।
भेवा खेतिपाति करूइया ब्याक्ति रहिठ ।समथल जग्गा भेवक खेति कर्ना ओइरा ओ परबटुवा
जुन मेरुवा रलक हुइन । एक सल्वा भेवा धान बोइलै हुन । काटेबर जम्मा एक्के
मुठ्ठा हुइलिन टे एक मुठ्ठा के के खाइ कहिके रिसक झोके आगि लगाडेलै टे करिया लाल
खैयर मेरिक घान बनगैलर । बावन बखारी एक खुराक बनुइया, सात बनुवक अमरुत बरुवक एक्क
कोर बनुइया ओ बाह्र गज छाति रहल भेवा एक रोज अटवार के रोटि बेलके कराहिम
डारके अपन डाडु भैया हे बिल्टाई कहिके लहाइ गैलरहिठ् । अइलै टे रोटि एक्के
कोरे पाकटहिन, डाडु भैय जुन घामे गरौवर रोटि बिल्टाइ भिरल रहिठ मने नै सेक्लै ।
रोटि एक पाँजर जरगैल रहिन, चारु जे मिल्के गल लगाके बिल्टैलै मने नै सेकलै । भेवा
अाके कानि कङग्रिले फटसे बिल्टैटि कलै का हेरटहो जम्मा रोटि जरगैल ? डाडु भैया
कलिन सेकबो नै करलि, गलो जम्मा टुगैल कसिक बिल्टैना हो ।
एहे घट्ना मे अधारित अटवारी तिह्वार मन्ना सुरु हुइलहो । अटवारिमे पहिला रोटि
एक्क कोर भेवाके नाउसे पकाके टब पहुना पहुनिन के लाग पकाजाइठ् । अवारि मे धेर
मेरिक टिना पुरी पकोरि रोटि खेरिया ओ गुडिगुडा सागपाट के परिकार रहठ् । इ तिह्वार
मे जे जत्रै धेउर परिकार बनाइ सेकठ ओत्रे चेलिबेटिन खुशि हुइठैं । थारुन के इहे
तिह्वार हुइन सबसे धेर खानपिन बनैना ओ भोज करल चेलिबेटिन डेहेजैना खैना चिजहे
अग्रासन कहिजाइठ् । इ कार्यक्रम बरस मे एक्केचो किल करे मिल्ना मोका हुइलक मारे
चेलिबेटि लैहेरिक पहुना हे मुर्गि छेग्रि मारके स्पेसल महुवक डारु, अन्डिक झोर,
गुरि डारु खवापिवाके भारि मानमर्जाड काराके बडाइ करठैं।
असिके अाफन्ट बिच गहिंर ओ बाझल मैयाँ पलिरना हुइल । आनेबेला लैहरिक मनैनसे भेट
करे नैपैलेसे फेन अटवारिक् जसिक फेन लैहरिक मनै अइहि पर्ना हुइलक मारे अटवारिम
चेलिबेटिनके बरे अस्रा रठिन । अपन चेलिबेटिनके मैयाँ के मारे लैहरिक मनै घाम,
पानी, लडिया, बनुवा, बाघ भाल के मटलबनै नै करके अग्रासन पुगैहि छोर्ठैं ।
मने आप आके इ बडलटि रहल दुनियम पहिलक मेराइक अग्रासन डेहे जाइठ् नै
डेखजाइठ् । पहिले थारु मनै भठ्ठामे ओ जन्नि मनै ढकिया छिटुवामे पैडर अग्रासन डेहे
जाइठ देखजाए कलेसे आप उ देख्ना सिहिनि बा । आप टे साइकिल, मोटर साइकिल मे फेन
अग्रासन डेहेजैना अलछैठैं । अब्क समयमे अन्यसमुदाय के देखासिखिसे हमार अटवारी
तिह्वार घुनागैल बा । जेकर कारन थारुनके पहिचान सुख्ला रोग लागल हस डोंगिल ओ जांघ
पखरा सुखाइल हस होगैल बा । बाहरके रित चलाउके कारन थारुनके रिति संस्कृटिमे असर
परल बा । बल जबरि पेउँडा लगाके अटवारि तिह्वार ढपाइठ् देखजाइठ् । इ टाल से असिन
लागठ् अइना पिह्रिक मनै चोक चौराहा मे पुठ्ठा हिलाके किल अटवारी ढपाडरहि । असिक
करलेसे ना रहि बाँस ना बोजी बसिया । ना रहि संस्कृती, ना हुइ थारुनके प्रगती ।
टबे मारे अटवारि हे गहिंर से बिचारे पर्ना बा ।
......✍️ संगम चौधरी.
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