थारु समुदायमे तिरिया जातिनके विशेष ओ बर्का ओ गरगहनाले (सपर्ना)सिँगार पटार हुइना तिह्वार अष्टिम्की हुइन । इ तिह्वारमे बरस भर भौकम ढारल गरगहना घालके अष्टिम्की टिके निकरठै । भोजहिन से ज्याडा बठिनियन इ तिह्वारमे बठा लेहल देखापरठ । काकरे हुइ! भोजहिन से ढेर बठिनियन इ तिह्वारमे बरत रठै !!!
माहा भारत से सम्बन्धित जुरल गित इ तिह्वार गाजाइठ । जातसे कैके कन्हैया( कृष्ण) के जीवन लिलामे समेटल इ तिह्वार रहल बा । संसार सृजल ठनसे सुरु कर्टि अष्टिम्की लिख्ना काम सुरु हुइठ । संसारके संकेटमे अष्टिम्कीक चारुओरके घेराहे लैठै ओ उहे घेरम चारुओर जोग्निनहे बनाजाइठ । रंगि बिरंगि बरे सोहाउन बनाके उहे घेरक सब्से उप्पर सिरेम कान्हाहे डेखाइल रहठ । पुरुब ओ पच्छिउ पाँजर जोन्ह्या ओ दिन बनाइल डेखजाइठ् । ओकर तरे पाँचो पान्डव ओइन डेखाइल रठैं । ओइनके आउर टरे गोपिनिन हे ओ आगेपाछे मडरिया ओ सोङ्गया डेखाइल रठैं । अस्टके टरे संसारमे रहल पसुपन्छि, बनुवा, पानी ओ ओम्मे बसेरा लेहुइया परानिनहे ओ कन्हैयाके लिला सम्बन्धि हाँथि घोरा उँट जसिन चिज बनाइल रठैं ।
असिके ढेरचिज बनाइल देखजाइठ । एकठो होस लग्ना बाट टे काबाकी अष्टिम्की लिख्ना तरिका बनैना मनै अनसारके फरक फरक मेरिक चित्र डेखेमिलठ् । एकथो लिरौसी ओ हेर्नामे अनखोर लग्ना डोखठहुवा मेरिक मनै बनाइल डेखजाइठ । (डोखठहुवा कलक डन्ठाहे क्रस काराके धागा बिटोर्ना बनाइल चिज ) व्रत रहल अष्टिम्की टिकुइया उहे वनाइल चिजहे टिक्के मनके चहल चिजके आस्था कर्ठैं । अन्याइमे लागल ब्याक्तिनहे नास करके सान्ति स्थापना करुइया पान्डव ओ कृष्ण कनहैया के बरत मे लौन्डिन अपन जीवन जोरियाके माग करलेसे मागन पूरा हुइना ओ लावा पहिला फलफुल ओ अनाज उहाँ चह्रैलेसे घरेम बरकट आइठ् कना भक्तजनके विश्वास मिलठ् । अत्रे किल नाहि बथिनिया ओ तरनिन अपन रुपके पूरा सिँगार कर्ना बेला फेन इहेतिह्वार हुइन । सुनजाइठ सालभर भौकम ढारल गहना इहे बेला घालके अष्टिम्की टिके निकर्ठैं । मैयाँ पिरिम सान्ति सृजैना अष्टिम्की मे मिठमिठ खैनापिना चिजबनाके नाटपाटन खओइना ओ हग्रासन डेहेजैना चलाउ फेन पलिबा ।
मने पहिलक जसिन अपन चेलिबेटिन अग्रासन डेहेजैना चलाउ धिरेधिरे ओरैटि बा । कारन आफन्ट (नाटपाट)बिच मैयाँ सम्बन्ध सराइल डेखजाइठ् । बरसमे एकचो अइना मौका चुक्के आफन्ट बिचके सम्बन्ध टुटल देखजाइठ् । बाहरके चालचलनमे लाग्के हम्रे थारु अपन अवसर किल नाहि अपन पहिचान, भेस-भास, कला-संस्कृटि फेन हेरओइना छाट डेखाइठ् । अौरे देशके जाटिन हे हमार चलन अनसारके तिह्वार ओ गितबाँस मे लागल नै बिल्गाइठ् । इ चिजमे हम्रे थारु बरे अरगरसे झक्याके हेरे पर्ना जरुरि बिल्गाइठ् ।
......✍️ संगम चौधरी
एक टिप्पणी भेजें
0टिप्पणियाँ