लावा घरक बाट बटवाइ बेर ।
संगम चौधरीसे पहिले २०६२ सालमे शुक्लाफाँटा–३ जोन्हाँपुरके कल्पना चौधरीक् उज्रल घर डुवार कथा संग्रह प्रकाशित हुइल बा । कंचपुरके थारु साहित्यिक इतिहास खिट्कोर्ना हो कलेसे पुनर्वास–२ मोतिबस्तीक् अशोक चौधरीक् मनके आवाज गजल संग्रह–२०७० छपल बिल्गाइठ । ओस्टके कृष्णपुर–६ सिंहपुरके जोगराज चौधरीक् अस्टिम्किक् गीत–२०७३ फेंन छपल बा ।
कंचनपुरसे अभिनसम एक्केठो किल थारु भासक् सुमिरन बार्सिक पत्रिका सागर कुस्मीके प्रकासन ओ सम्पादनमे आइल आइल बा । थारु भासा साहित्य जोर डेटि आइल इ पत्रिका फेन घुस्करिया कर्टि बा । इ खुसिक बात हो कि कंचनपुरसे फेन पत्रिका निकरल बा कना कंचनपुर बासी गर्व करे सेक्ना अवस्था बा ।
गजल, मुक्तक विधामे युवा स्रस्टा फाटफुट रुपमे कलम चलैलेसे फेंन अभिन आख्यान विधा ओर ओट्रा डटल नैबिल्गैठैं । । २०७४ सालमे सिर्जल मुक्तक संग्रह निकारके अपन थारु भाषा साहित्यहे सेवा कर्टि आइल कृष्णपुर–६ सिंहपुरके साफी चौधरी निबन्ध लेखनमे जमके कलम चलैटी आइल बटि । हुँकार निबन्ध पहर्के आस करे सेक्जाइ कि अइना दिनमे कुछ महिला लेखक लोग फेंन जरुर जन्महि ।
संगम चौधरीक् यि लावा घर कथा संग्रह हुँकार डुस्रा कृति हुइन । एक्के सालमे २ ठो कृति निकर्ना बहुट कर्रा काम हो । साहित्य लिख्ना महा साँसट हो । असिन अवस्थामे फेंन संगम अपन कलमहे डौराइठ डेख्के खुशी लागल बा । थारु साहित्यमे एकठो बख्खारी बान्ढ जाइटा ।
यि कथा संग्रहमे १२ ठो कथा गुँठल बा । जहाँ जिन्गिक् हर मेरिक दुःख, पिरा, व्यथाके चित्र खिंचल बा । गाउँ घरक् समस्या, गरिबके कारण पाइल दुःख बेदना समेटल बा । यि कथा संग्रहमे १२ ठो कथा मन्से लावा घर शीर्षक कथा पारिवारीक कथा हो । जिन्गी गुजारक् लाग हरेक मेर्के सपना रठिन परिवारके सदस्यन्के, जिउ ज्यान डेके फेंन बाधा समस्या अइटि रठिन । गीता ओ विपिनके भूमिकाके रोल बा लावा घर कथा भिट्टरके पात्र लोगनके ।
ओस्टके अच्कचरे सपनामे हरेक मनैन्के कुछ करुँ कना चाहना रहठ । कुछ मजा काम कैके डेखाउँ कना चाहना रहठ । कुछ मजा काम कैके डेखाउँ कना सोनियाके इच्छा रठिस लेकिन घरक् मनै साथ नैडेके ओकर सारा सपना चकनाचुर होके माटिमे मिल्जैठिस ।
दिनेश, विजय ओ रबिनाहे पात्र बनाके सिर्जाइल बिडाइ कथामे लवन्डी लवन्डाके प्रेम कहानी हो । अपन ठरुवाहे छोर्के डोसर ठरुवाहे लेके पाछे जाके दुःख भोगल कथा बा । रगतके रंग कथामे मैननके भावना बुझके प्रेम कथा बनल बा । यम्ने काजल ओ अविनाशके रोल बा । धनी गरिब, धर्म, जातपात नैहेर्के मानवीय गुण डर्साइल बा । ओस्टके छाइ कथामे समाजमे नारी फेंन पुरुष सरह होके काम करे सेक्ठैं कना चित्रण कैल बा ।
भोज कथामे लवन्डा लवन्डी प्रेम कर्ठैं मने पाछे जाके लवन्डा लवन्डीके सम्बन्ध टुटल बिल्गाइठ यम्ने रमेश ओ रेश्माके गार्ह प्रेम कहानी बा । ओस्टके पटुहिया कथामे समाजमे रहल रीतिरिवाज अन्सार भोजमे माँगर गाइल बा । जौन यि कथाके मजा पक्ष हो । अस्टके यम्ने ठरुवा बिट्लो पर पटुहिया अपन सास ससुरवाहे छावा होके घर सम्हाँरल कथा बा । यम्ने सन्ध्या पटुहिया बन्के अपन भूमिका निभैले बटि ।
अस्टके ठकौनी कथामे पुरान बात फेंन खिट्कोरल बा । पहिलेक जबानामे लर्का जन्मनासे पहिले ठकौनी खाडारिंट । लवन्डिक इच्छा बिना भोज कैके अपन छाइ गुमैलक घटना बा । ओस्टके डाइ कथामे २ ठो टुवर लर्कनके कहानी बा । डाइ परलोक हुइल ओरसे डाडु ओ बाबुके कथा बा । ओस्टके बिस्राइल डगर कथामे एकठो लवन्डी अपन जिन्गीक् डगर भुलाके दुःख पाइल कथा बा ।
अर्पण कथाके पात्र अपन जन्माइल बच्चाहे रातके लवन्डक घरक् अंगनामे छोर्के गैल कहानी रचल बा । ओस्टके अन्तिम सफरमे डेउखरसे छारा कैके बुह्रान आके भुँखे प्यासे जिन्गी बिटाके फेंन घर परिवार मजासे बैठल बात डर्साइल बा ।
अट्रा मेहनत कैके लिखल यि कथा छाइ डाइ पटुहिया भोज कथा अक्के अक्केहस लागठ । सक्कु कथा जोर्लेसे एकठो उपन्यास बन्ना मेर्के कथा समेट गैल बा यम्ने । अभिन फेंन कुछ स्रस्टा लोगनके अध्ययनके कमिसे खोजलहस कथा आइ नैसेकठो । हमार समाजमे गाउँ घरमे अभिन शिक्षाके चेतनाके कमि बा । बेरोजगार ढेर बा । अइसिन कथाहे सिमोट्ना जिम्मा आइल बा आब । अपन डाइ बाबा कैसिक पह्रैलैं, कैसिक बहै्रलै कथा आइठ कलेसे आकुर डमडार हुइना रहे । भ्रष्टाचार, अन्याय, दमन, शोषण सहके कमैयाँ, कम्लहरीके कथा पेंmन लिख्ना कथाकारके कन्ढम आइल बा । जेडासे प्रेम कथा सिमोटल यि संग्रह पठनीय टे बा बा ओकर संगसंगे अभिन थारु समुदायमे घटल घटनाके कथा कमे आइटा ।

लोक साहित्यमे धनी थारु समुदायके भिट्टर रहल बट्कुही खोज अनुसन्धान कैके लिखित रुपमे ढैना जरुरी बा । समयके बावजुद फेंन यि पंक्तिकारहे भूमिका लिख्ना मौका डेलकमे कथाकार संगम चौधरीहे सैगर सम्झना बा । अझकल लगटार रुपमे थारु लोक संस्कृतिमे कलम चलैटि आइल रविता चौधरीसे फेन अइना दिनमे लावा कृति आइ कना आस करे सेक्जाइ । जैटि जैटि अइना दिनमे यिहिसे चारगुणा मेहनत कैके टिस्रा कृति हलि निकारिंट सैगर शुभकामना ।
सागर कुस्मी ‘संगत’
शुभकामना
संगम चौधरी कुछ डिन पहिले बट्पकुहि संग्रह निकारटुँ कुछ लिखडेबि कह्के कले रहिँट् । सँपार नै हुके हो कि आउर आउर कारन से हो कुछ बिराउँ होगैल् । टब्बोपर टब्बोपर मोर जियाँमे बाट् नुकल नै रहे । पोस्टाके ओरन्टा पुँछिमे आके फेनसे बाट् खिट्कोर्लाँ । मै झस्कलुँ ओ अपन जिम्मेवारी पूरा कैना वचन सहिँट् कुछ बाट लिखटुँ ।
पोस्टा निकर्ना अपनेमे बहुट् साँसट् काम हो । इ साँसट सहके फेन संगम बट्कुहि पोस्टा निकारटाँ । इ खुशिक बाट हो । हमार सह थारु समुडायमे पठनसंस्कृटिके बिकास नै हुइल हो । उहेकारनसे असिन कामेम बहुट कम मनै लगानि लगैठाँ । पोस्टा जसिक टसिक साँसट सहके हुइले से फेन निकरठ मनो बजार नै पाके घरहिं कुर्ह्याइल रहना हुइसेकठ् । असिन डुरडसामे फेन इ अटगर संगमके मनहे सलाम करे परि ।
संगमके पोस्टामे संगारल बट्कोहिके अन्हार हेर्ना मौका नै जुर हो । गैल बरस फेन हुँकार पोस्टा निकरल रहिन उ फेन हेर्ना मौका मिलल् नैहो । इ कौनो डिन जरुर मौका मिलि । महिहे यम्मे कौनौ गुनासो नै हो । महिँहे लावा सिर्जना कर्ना मनै मन परठ् । ओइके मनके चौकस सौंक मन परठ् , ओइके सिर्जनसिल्टा मे लागल जोस ओ जाँगर मन परठ् । सिर्जना करक लग जँग्रार मनै चाहठ् । जंग्रार मनैनके सिर्ना फेन सुन्डर रहठ् । मुले हरेक सिर्जना सक्हुनहे नै लागे फेन सेकठ् । इ मनैनके रुचि निर्ढारन करठ् । ओट्ररे किल नै सक्कु सिर्जना फेन सुन्डर नै हुइसेकठ् । उहेसे पाठकके रुचिके बिसय एकठो सिर्जना सुन्डरटा हुइसेकठ् । मुले कैयौं गोम्हनियाँ सिर्जना हौसला मागठ् , उर्जा मागठ् ओ उट्साह मागठ् । उहेसे संगके बट्कुहिमे सिड्ढान्ट ओ सिमा साँढ लगैना पच्छे मै नै हुँ । संगम एक उर्जासिल लेखक हुँइट । उहाँक सिर्जनामे कमिकमजोरि कठेक हुइ कठेक । हरेक ग्यान अभ्यास कैटि , बुझटि ओ सिख्टि जैना ओ लेना हो । उहेसे संगमके इ लिख्नैटि संयम हुइन । सिख्नौटिमे कुछ कमि कमजोरि स्वभाविक रहठ् । संगमके हकमे बहट बाट् छयम्मे हुइसेकठ् । अर्ठाट कहि उहाँक सिर्नामे किल्कोर किल्कोर कमजोरि खोज्ना समय नै हो । इ समयमे उहाँकमे उर्जा भर्ना समय हो ।

ओरन्टामे संगमके बट्कुहि पोस्टा पाठकके मन खिँचे , सक्हुनमे रुचि बर्हे ओ अइना डिनमे संगम ढेर पोस्टा निकरटि रहे शुभ कामना बा ।
छबिलाल कोपिला
प्रढान सम्पाडक
लावा डग्गर त्रैमासिक, दाङ-डेउखर
लावा घर
अचकच्रे सपना
पटुहिया
बिस्रल डग्गर
डाइ
बिडाइ
यह क्रममे अपन बालबच्चाके भविष्यके सुख सुविढाके लाग दाङ डेउखरके सटबरियासे कञ्चनपुरके भुराकोट गाउँ ओर बसाइ साराइ कर्ना सोंच बनालेठैं डुनु प्राणी । सुमित्रीके गोस्या सन्टराम उमार जब कञ्चनपुरके बेलौरी क्षेत्र ओर बसोबासके लाग ठाउँ टयार करे आइल बेला सुमित्री सटबरिया अकेलि बहुट बाट सुन्वा पैलिन । उ बेला सुमित्री के मन डुखे पुगल रहिन ओ खोप रोइलिन । सुमित्री अपन लर्कनके बहुट ख्याल कर्लक ओरसे लर्कन लाग कुछ करे पर्ना सोंच्टी रठिन । कुछ डिन पाछे सन्टराम सब व्यवस्ठा मिलाके अपन परिवार सारा बाल बच्चा लेहे अइठैं । ओ दाङ डेउखरके सटबरियासे अपन सारा परिवार लेके बुह्रान ओर प्रस्ठान कर्ठैं । लम्मायात्रा कै रात डिन लगाके बुह्रान पुगठैं । सुमित्री अपन गोस्यक पाछे-पाछे अप्ने सब जहनके लुगा भौंकामे हुर्के ढर्ले रहिन उहे भौंका कपारिम बोक्ले ओ पिंठिम छोटमोट लर्कन बोक्ले बरे साँसट से यात्रा कर्टि रहिट । ओर सन्टराम ढुङ्गरोहुवा कुसुम्या फेन भठ्ठामे छिट्वा झुलाके डुनु पाँजर अपन छोट-छोट डुइठो लर्कन भर्वा बनाके बोक्ले टीन डिन टीनराट, जहाँ राट ओहे बास, लेटी कञ्चनपुर बेलौरी पुग्ठैं । दाङ डेखउरके सटबरियामे अपन डाइ बाबा भैया भटिज्जान हे छोर्के । अपन जलम घर छोर्के । जलमलक ठाउँक माया लाग्के फेन बाध्यटाले लावा ठाउँमे अपन पैला टेक्ले रहिन सुमित्री । गाउँ ठाउँ सबकुछ लावा रहिन उ परिवारके लाग । एकठो छोटमोटी बुक्रासे शुरु हुइठिन । उ परिवारके जिन्डगी । लावा ठाउँ आके खैनाके लाग काम करे पर्ना रहिन । सुमित्री ओ सन्टराम अपन परिवार पालक लाग कमैया लाग्के बालबच्चा पल्ठै । कुछ वर्ष अस्टकेजीवन गुजारा हुइठिन सुखी खुशीके सँग खेटी रमैटी आनन्ड कर्टि रठैं ।
लावा सोच ओ योजना
हर डाइ बाबाके अस्रा रहट बच्चा भारी हुही ओ हम्रहिन सुख मिली कामकाजमे साठ मिली । छावा बाबाके काममे साठ ओ छाइ डाइके काममे साठ डेटी जैठा । सुमित्री अपन लर्कन कबु भुखे रहे नै डिन । कुटना, पिस्ना खैना पिना बनैना बस काममे डरगर रहिन । कुट्ना पिस्ना हुइलेसे राट्टी उठे पर्ना । ढेंकीमे घन्टौं सम घामे गरौओर हो के निनके मारे ओघा-ओघा ढान कुटके चौरक भाट खओइन । चक्यामे डिनभर लगाके गोहुँ पिस्के सन्झा एक छाँक रोटी खओइन । मुरघक कुकुरी काँ कना बोली के सँग सुमित्री कुटे पिसे भन्सा करे उठिन कलेसे सन्टराम भिन्सरही हर मच्याके खेटवा ओर लग्ना करिन । असिके अपन परिवार बालबच्चा के हेरचाह कर्टि जैठा । सुमित्री के कोख से फेन से छाइ ओ छावा के जलम हुठिन । सुमित्रीके कोखसे जम्मा मिला टिनठो छावा ओ चारठो छाइ जलम लेठिन । (चारठो छाइ मेसे मझली छाइके कोखसे संगम चौधरी हरचब्बा के जलम हुइठिन ।)
सुमित्री के लर्का जस्टक जवान हुइटी जैठिन ओस्टक सब लर्कनके भोज कर्टि जैठिन । छावनके लाग पटुहिया लन्ना ओ छाईन हे बिडाइ करैना । सुमित्री सक्कु छावा छाइनके भोज कर्के अपन डाइक जिम्मेवारी कर्टव्य पूरा कर्ठिन । जिन्गिक सफर अनौठो ओ कष्टमय करटहिन । मन शान्टि, सन्टुष्टि नै रहठ कलेसे सारा जिन्डगी सुन्य लागट । केक्रो उटसाह ओ कोइ चिजके आशा रहट कलेसे जिन्डगी जैसिन डुख अइलसे फेन मन कबु निरासा नै हुइट । सुमित्री के फेन एक चिजके अस्रा रठिन । हरडम कना करिन डुःख पाछे सुख जरुर आइट । मनैनके हेल्हा मजा हो मने भगवानके मजा नै हो कहिके हरडम कहिन सुमित्री । सुख डुःख जिन्डगीक सफर कर्टि २०६५ ओर अपन जिन्डगी ख्रिष्ट येशु म अर्पण करडेलिन । संसारके ज्योटि कहला जिना ख्रिष्ट येशुके बचनमे आशा विश्वास भरोसा कर्के जिन्डगीक् सफरमे परगा सरठिन । करिब टीन घण्टा पैरल नेंङके बेलौरी भुराकोट से पुनर्वास अमरैया जीवन मण्डलीमे ख्रिष्ट येशुके आराढना करे पुगिन सुमित्री । कारण सुमित्री अपन सारा मनसे अपन सारा टनसे, अपन सारा समझसे सारा संसारके सृष्टिकर्टा परमेश्ववर हे प्रेम करिन । सुमित्री अपन श्रीमान् सन्टरामहे बहुट माया करिन । बहुट ख्याल करिन, सेवा सुसार कर्ना करिन । सुमित्री पहुननके बहुट मान सम्मान कर्ना करिन । कौनो पहुनन फेन अपन हाँठक रिझाइल बिना नै खओइले बिडाइ नै करिन । डया मायाले भरल कोमल हृडयके रहिन सुमित्री । बुह्राइल अवस्ठामे फेन ख्रिष्ट प्रभु येशूमे रमैना करिन । मुहारमे खुशी आनन्ड डेखा परिन । परमेश्वरके आज्ञाकारी जीवन बिटैटी गैलिन । छोटमोटी बुक्रा रलेसे फेन खुशी आनन्डके जीवन बिटाइ टहिन । हरेक हप्टा एक बगाल ख्रिष्टियन जवान लवण्डा लवण्डी उहे सुन्डर बुक्रामे खुशी आनन्डसे गीट गाके संगटी लगैना करिंट । अपन मझली छाइक छावा नाना संगम चौधरी ओ बुडु सिलास चौधरी लगायट सारा बगाल हे बहुट मान सम्मान करिन । मिठ मिठ खैना बनाके खओइना करिन । ओ बहुट खुशी हुइना करिन । बुह्राइल अवस्ठामे आके जवान ओइनसे रमाइ पाके हँस्ना खुशी हुइना करिन ।
सुमित्री अपन जवानी मे बिटाइल पलके कहानी सुनैना करिन । अपन गोहिनसँग हस्लक खेल्लक बाट कर्के हँस्ना करिन । दाङ, डेउखर चैलाही गाउँक बयान कर्ना करिन । छोटमोटी परिवारमे जलम लेके रोइटी यि ढर्टीम प्रवेश कर्लिन सुमित्री । केकर का पटा जिन्डगीक सफरमे कौन मनैया कहाँ पुगट । अस्टेक सुमित्री हे फेन जिन्डगीक सफर कहाँसे कहाँ पुगा सेकल रहिन । अपन जलम डेना डाइ बाबा छोर्के, हस्लक हुर्कलक घर छोर्के पराइ घर जिन्गी काटे पर्ना । कत्रा रोइल हुहिन सुमित्री अपन डाइ बाबाहे छोरे बेला । नै चाहके फेन अपन डाइ बाबा घर डुवार छोर्के पराइ घर जाके जिन्गी बिटाइ पर्ना ।
सुमित्री अपन जम्मा लर्कनके भोज कराके ओइन हे अपन अपन जिम्मेवारी सौप डेठिन । ओ अपने कष्टमय जिन्डगीक सफरमे रठिन । सुमित्री शरिरमे कमजोर हुइटी जैठिन । बेराम पर्ठिन टब फेंन अपन पैला नै रोक्ठिन । सेक नैसेक कर्के अपन कर्ना काम कर्टि रठिन । जिन्डगिक् अन्टिम साससे लरटिरठिन सुमित्री । अपन मनैनसे हँस्लक बाट कर्लक ओ चर्चमे सारा विश्वासिन सँग संगटि करलक येशुके गिट गैलक समझके आखिमसे आस गिर्ना करिन । बल टागट रहल बेला घाम पानी जार सहके बेलौरी भुराकोट गाउँसे पुनर्वास अमरैया जीवन मण्डलीमे परमेश्वरके आराढना करे अइना सुमित्री जिन्डगीक अन्टिम साससे संघर्ष करटिरठिन । सुमित्री छ घण्टा आहोर डोहोर करके अपन छाइ डमाड ओइनसे भेट करे ओ संगटी करे पाइलमे खुशी हुइना करिन । अपन नाना नानी आजा आजिनसँग भेटकरे पाके हँस्ना करिन सुमित्री ।
जब सुमित्री कमजोर हुइलिन, बुह्रागिलिन ओ हाँठेम टेक्नि लग्लिन उह बेला सुमित्री अपन छुटिमुटि बुक्रामे एकान्ट एक कोन्वा मे बैठके अपन बाल बच्चा नाटि नटिन्या ओ अपन सक्कु परवारके सुरक्षा, शान्टि मेलमिलाप ओ हरेक काममे प्रगटिके लाग रो-रोके येशूसे प्रार्थना कर्ना करिन । सुमित्री चाहिन मोर अपन सन्टान, अपन मनै येशूमे अनन्ट जीवन पाइ सेकिट सुमित्री हे पटा होसेकल रहिन कि मोर जिन्डगीक अन्टिम आसेकल बा । एकर पाछे महि जाइ पर्ना बा । यि संसारसे सडाके लाग । यि बुक्रा छोर्के उ स्वर्गके घरमे । जहाँ कबु डुःखके आँस नै गिरी । जहाँ कबु राट नै परी । उहाँ कुछ चिजके जरुरट नैपरी ना डिनक आजरार चाहि । सडा खुशी आनन्डके घर रहे पैना आशामे सुमित्री जिन्डगी अन्टिम साससे संघर्ष कर्टि खटियामे छटपटैटि रठिन । शनिच्चरके रोज सारा ओ चर्च मे परमेश्वरके आराढना हुइटहे । सुमित्री जुन अपन बुक्रम अन्टिम साससे लर्टि रहिन । हर शनिबार येशुक आराढना करे चर्च जैना सुमित्री खटियामे छटपटैटि येशुक नाउँ मनेम गुन्जठिन । सुमित्री उहे रोज जिन्डगीक अन्टिम सास ख्रिष्ट येशू छोर डेठिन । मिटि २०७२ चैत्र ६ गटे शनिबार सुमित्री यि डुनियाँसे सडाके लाग अपन लर्कन अपन श्रीमान् अपन सारा मनैन छोर्के स्वर्गके घर चलगैलिन । सुमित्रीके चाहना रहिन मै जहाँ रहम मोर लर्कनहे फेन उहे ठाउँ डेखे पाउँ । मोर छाटिक डुढ चुसाइल अपन लर्कन हे रो ढोके, भुख्ले प्यासे होके हुर्कैनु उ लर्कन स्वर्गके घरेम सँगे रहे मिले । यि ढर्टिम संगै रहे नै पइलेसे फेन सडाभर स्वर्ग घर रहे पैना चाहना रहिन सुमित्री के । यि चाहना के लाग सुमित्री राट डिन रो-रोके प्रार्थना कर्ना करिन ।
मोर नानिक कहल अमर वचन महि आझ इ ठाउँ पुगैले बा । साटठो लर्का टीन भाइ ओ चार बहिन्याके पुर्खा सुमित्री । अपन मझली छाइक कोखसे जलमल मै संगम चौधरीहे छोटीमे कना करिन नाना पह्राइमे ढयान डिस । पहरबे टे अपनलाग पहरबे । अपन जानल ज्ञानगुनके किटाब पहर्टि रहिस् । ओ लिख्नामे कलम चलैटि रहिस । नानिक आशिर्वाद! पाइल मै संगम हारचब्बा ।
ओराइल ।
धन्यवाद!