गजल संग्रह
अस्रा
गजलकार-संगम चौधरी / सम्पादक-सागर कुश्मी / गजल १
सुरु करटुँ बिगरल ठाउँमे सवाँर डेहो ।
उछटे सेकम मनके आँखी उघार डेहो ।
साहित्यके फटुँवामे डौरल बटुँ मै यहाँ,
मोर दिलके कलम आउर टिस्लार डेहो ।
एकएक शब्दसे मनके फुलरिया सजाइटुँ,
मन नै परल बाट मनेमसे निकार डेहो ।
अपन मनमे संघारल बाट छिट्काइटुँ मै,
जिन्गीमे काम लग्ना शब्द किल ढार डेहो ।
मोर मनसे बहल एक एक अक्षरहे यहाँ,
गहिंरसे केराफटकके एकचो बिचार डेहो ।
गजल २
खै काकरे अचानक हँस्ना कर्थु ।
येशु मे खुशी पाके नच्ना कर्थु ।
बर सुहाउन सुन्थु येशुक गीत मै,
नै जन्लेसे फेन टाेंटफारे गैना कर्थु ।
जब नाचत देख्थु सँघर्या हुकन,
घ्याच टान टानके हेर्ना कर्थु ।
मजा नै लागट येशु बिना यहाँ,
मनमे खुशी आनन्द खोज्ना कर्थु ।
असंख्य झण्डा फरफराईत यहाँ ,
तर मै क्रुसके झण्डा रोज्ना कर्थु ।
गजल ३
सुख दुःखके हाल बुझुया भेताईल बाटुं ।
मनके आँशु पोछुईया भेताईल बटु ।
झुठा बाचासे मन टुक्रा–टुक्रा हुईल बेला,
घाएल मनम मलहम लगुईया भेताईल बटुं ।
घृणा ओ बदनामसे उजरल जीन्दगी हे,
मिठास बोलीले सजा देहुईया भेटाईल बटुं ।
समुन्दरके छाल्कम फँसल जीन्दगी हन ,
निस्वार्थ मैयाले पार लगुईया भेटाईल बटु ।
मनके चोटसे हरदम रुईती रहल बेला,
मही उँक्वारमे लेहुईया भेटाईल बाटुं ।
गजल ४
तोहार जस्तै मोर रहर कब आई ।
सँग–सँग रमैना बहार कब आई ।
सब जहन से मैया जोर्ति नेङ्गथो तुं,
मोर मे फेन मैयक नहर कब आई ।
मुहार मे खुशी जीवन म ज्योती तोहार,
मोर जीन्गिम असिन प्रहार कब आई ।
तुहांर लाग त स्वर्गीय मुकुट धारल बा,
मोर लाग फे स्वार्ग के शहर कब आई ।
हर परगामे प्रेमके सुवास फहरैथो,
तोहार सँग नेगना उ सफर कब आई । गजल ५
ख्रीष्टमे रमैना चाह बा तुहार अाँत चाहल ।
जीन्दगीक यात्रामे महिन तुहार हात चाहल ।
अकेली बा जीन्दगी यात्रा बहुत कथिन बा,
और कुछ नै केवल सँघर्याके नात चाहल ।
टुटगिल बा मन चिरार फाटल बा हृदय,
एक दुई शब्दके उत्साहके बाट चाहल ।
परमेश्वरके लाग कुछ कर्ना बा,
उहाँके विश्वासीनके जात चहल ।
उजरल ओ टुटल झोपरी रलसे फेन ,
सुन्दर सपनी के मिठ रात चाहल ।
गजल ६
टुँ टे महिन हे हंसाई फे सेक्थो ।
उदास हुईलमे नचाई फे सेक्थो ।
हृदय भित्तरके एक–एक चोट म,
मिठ बचन ले चोखवाई फे सेक्थो ।
बदनाम ओ घुणा से बाझो जीन्दगी,
रंगिन फुलै फुलाले सजाई फे सेक्थो ।
चारु ओर से ठिचल अँधार मन हे,
ख्रीष्टके ज्योतीसे चम्काई फे सेक्थो ।
टुक्रा–टुक्रा होके गिर्ती रहल मन हे,
अपन उन्ज्रा दोक्के बाचाई फे सेक्थो ।
गजल ७
रुवाईके चित्कार से हाँँसत दुनिया ।
सोकले भरल देख्के भागत दुनिया ।
उ तिस्लार तिर हृदय गस्कल बेला,
जीन्दगीक दसा देख्के नाचत दुनिया ।
जब जीन्दगीक यात्रा म ठेस लागत,
उप्पर से ठिचकलाग जुटट दुनिया ।
अनन्त जीवनके खबर बताई बेला,
बिना कारन बदनाम करत दुनिया ।
मजा काम मरथ देखके यहाँ,
मनक भित्तर से जरत दुनिया ।
गजल ८
तोहार जवानी चाखो धर्ना रहर कसिक पुछु ।
जत्तिसे कहतु तुहार नेङ्गना दगर कसिक पुछु ।
घुणा, बदनाम सहके नेङथो रात दिन यहाँ,
जत्तिसे येशुम भोगल तुहार खबर कसिक पुछु ।
सतावतसे छटपटा-छटपटाके जीअल बेला,
उ टुक्रा हुईल हृदयके असर कसिक पुछु ।
रात दिन आँखीम आँशके धारा बहल बेला,
मनक भित्तरके तहुाँर चित्कार कसिक पुछु ।
विश्वासके कारण घरसे निकारल बेला,
तुहार बैठ्ना घर डुवार कसिक पुछु ।
गजल ९
दुनिया मे घृृणित होके बैस सिखल बाटु ।
हृदयम मैयक पोक्री चाँस सिखल बाटुं ।
लोभ्वाईत दुष्ट संसारके चिज देखाके,
मै जुन अपन ईच्छा मास सिखल बाटुँ ।
दुनिया चाहे जत्रा रिसाओस या विरोध करे,
तर मै येशुक सँग नाता गाँस सिखल बाटुँ ।
पापके बन्धनमे अल्झल रहुँ दुनिया मे,
दुःखी जिन्गीमे फेन हाँसे सिखल बाटुंँ ।
दुनिया मोर दुःख, कष्टमे रमैले से फेन,
आँश पिके जिना आँट कस सिखल बटुँ । गजल १०
जब क्रुस हेर्थु येशुक रगत देख्थु ।
उह रगत ले संसार बचत देख्थु ।
मुक्ती सब जहनके लाग हो,
तर फे कत्रा जहन भागत देख्थु ।
जीवन के सिमा तोकल बा तब फे,
बिना कारण समय मासत देख्थु ।
जीवनके अर्थ बुझल मनै हुकन,
येशुक पाछ-पाछ लागत देख्थु ।
उद्धार मुक्ति पाईल मनै हुकन,
हरदम हँस्ती गाईत नाचत देख्थु ।
गजल ११
याद बा टुँ मही खुशी करैलक पल ।
हृदयमे बा उ शब्द मही हसैलक पल ।
हरदम याद आईत उ दिनके क्षण मही,
सम्झथु मै तोहार आशुं पोच्छलक पल ।
जब मोर हृदय छिंग्रा छिंग्रा होगैल रह,
याद बा येशूक बचन देखैलक पल ।
दुनियामे चारु ओरसे थिचल बेला,
भुलल नै हुँ टुं पकरके उठैलक पल ।
जीन्गीके अन्तिम आशा हेराईल बेला ,
सजाईल बाटुं बच्ना आशा देखैलक पल ।
गजल १२
प्रचार कर्ना तुहार चाल मन परल ।
दुःख मे फे सुख के हाल मन परल ।
सब जहान से मिठास बोली लगैना ,
जीन्गीके उ यात्रा के पल मन परल ।
आत्मिक प्यासले तरपल मनैन हुकन,
जीवन देना उ तुहार जल मन परल ।
येशुके महान आज्ञा मे लागल रना ,
तुहार सँघर्यन के ऊ दल मन परल ।
दुनिया मे ख्रीष्टके साक्षी बन्ना,
तुहार उ बुद्धिके बल मन परल ।
गजल १३
अन्तके दिन गन्धक आगी बर्सने बा ।
येशूमे रहल मनै स्वर्गमे जैने बा ।
बहकके यहोर ओहोर जिन लगहो,
याद करहो संसार म युद्ध चर्कने बा ।
जब दुनियामे भुखाही ओ अनिकाल परी,
ना घबरै हो अन्तमे यह सब हुईने बा ।
आई सङकष्ट ओ दुःखके उ दिन,
आउर घृणा ओ बदनाम मच्ने बा ।
चाहे कतोस गला, चाहे लागोस फाँसी,
आखिर सम्म स्थिर रहुया बच्ने बा ।
गजल १४
सोच्ले रहु जीन्दगी एक सपना हो ।
तर यी ते परमेश्वरके रचना हो ।
जुनी जुनी सम्म बच्ना रहर रह,
तर यी केवल दुई दिनके पहुना हो ।
अन्धारमे चम्कना तोरैया सम्झु जिन्गी,
तर यी त दुःख कष्ट के सामना हो ।
अन्जान रहु जीन्गीसे यी संसार मे,
तर यी त ख्रीष्ट येशूके नमुना हो ।
घृणा ओ बदनाम से ब्याकुल रहु मै,
तर यी त परमेश्वरके योजना हो । गजल १५
तुहाँर सँग–सँग हमी रोईना मजा लागत ।
आँखी भर आँश लेक हँस्ना मजा लागत ।
मंन्द्रा भ्याली, कस्तार ओ धोल बजाके,
तोहार सँग–सँग नच्ना मजा लागत ।
मर परोस चहे कट परोस यी दुनियामे,
सु–समाचारके जोस कस्ना मजा लागत ।
जीन्गीमे तुँहार हाँथ मे हाँथ मिलाके,
क्रुसके झण्डा फरफरैना मजा लागत ।
सुःख दुःखके जिन्गीक यात्रामे,
संगे मानके बात कर्ना मजा लागत ।
गजल १६
हुँकार बिछोड से आँशले सिरहन भिजल बा ।
उह आँशके बुँदा म मैयाके शब्द बहल बा ।
ख्रीष्टके लाग सङगे नेङना संघरिया रही,
अचानक आँधी आके संग छुता देहल बा ।
कहाँ हुईही उ कसिन हुईहिन पटा नै हो,
तर हुकहार मिठ बोलीके शब्द गुन्जल बा ।
सत्य ओ चोखो मैया सजाके गैलै दिलमे,
कब अईही उ अस्रा हेरके मन तरपल बा ।
मैया के भिखारी मै, मैया मंग्ती नेगल बाटुँ,
मैया बिनाके ई जीन्दगी, बाँझो हुईल बा ।
गजल १७
मनमे चोट लागल बेला रना मन लागत ।
कुछ करे नैसेक्क रोके बैठ्ना मान लागत ।
उकुसमुकुस हुईल मन भित्तर के पिडा हे,
आँशके एक–एक बुँदामे गिरैना मन लागत ।
स्वार्थी मैयामे धोखा पाके फातल हृदयहे,
सापती मैया माङके तँगर्ना मन लागत ।
दुनिया अपन मतलब म रहल ब्याला,
ख्रीष्ट येशूमे जोस कसना मन लागत ।
संसारके ज्योती येशुके साथ पाके,
परमेश्वरके बयान कर्ना मन लागत ।
गजल १८
येशुके जन्म उत्सव म रमाईल देख्नुु ।
हृदय हन मैयक पहुराले सजाईल देख्नु ।
ख्रीष्टमसके उपलक्ष्यमे शुभकामना देती,
परमेश्वरके परिवारहुकन नचाइल देख्नु ।
निराश ओ दु:खी रहल ब्यक्ति हुकन फे,
आनन्द भरल मुस्कान देती हसाईल देख्नु ।
बितल बातसे मुर्झाईल मन रलेसे फेन,
ख्रीष्टके निम्ती जोस मचाईल देख्नु ।
बिगरती रहल संसार के बगालमे,
अपनमे मजा योजना बनाईल देख्नु ।
गजल १९
हृदय एक्थो बा धेर जहन देना चहथो ।
ताना–तान हुईबेला चिल्लैना चहथो ।
नै सेक्बो प्रेमी हुकन बराबर मैया देह,
मनम लग्ना शब्दसे अाँश गीरैना चहथो ।
हजारौं तिरसे घायल हृदय बोक्के,
दुनियामे मजा ब्यक्ति खोज्ना करथो ।
टुक्रा हुईल मन, बेसहरा हुईल ब्याला,
आँशु पि–पीके अकेली बच्ना चहथो ।
चोखा मैया अनन्त जीवन पाके फेन,
आपन स्वार्थके लाग नेङना चहथो । गजल २०
धन सम्पत्तिमे रमैना रहर नैचाही ।
दुनियाँके रमझम कर्ना सहर नैचाही ।
येशुक सत्य मैंयाँ भेटैले बटुँ यहाँ,
स्वार्थी मैंयाँके उ खबर नैचाही ।
स्वर्ग जैना सत्य डग्गर मिलल बा,
नास हुइना महल घर नैचाही ।
जुनिजुनि समके संघरिया भेटैले बटुँ,
बिच डग्गरमे छोर्ना सफर नैचाही ।
हरदम जिन्दगीमे धोका पाईल बातु,
होगिल तोहार छली नजर नै चाही ।
गजल २१
अपन से ध्यार येशूक लाग रोईना करलो ।
आँखी भर आँश लेक ओठमे हस्ना करलो ।
थकित शरिर घायल हृदय रलसे फेन,
हाँस–हाँसके येशुक लाग नच्ना करलो ।
मनम चोट लग्ना बाट अईले से फेन,
जोस भरल येशूक गित गैना करलो ।
मन मुटुमे चोटै चोट रलेसे फेन,
हृदय छुना धुन गुन गुनैना करलो ।
पाप मे फसैना जाल फार–फार के,
ख्रीष्टके जवान सँग रमैना करलो ।
गजल २२
बिहानिक केर्नी सँग मन मे खुशी देख्नु ।
दुखी हृदयहे आनन्द करैना हाँसी देख्नु ।
मन टुटल बेला येशू म शान्ती पाके,
कुछ करके देखैना तुहिन सहासी देख्नु ।
संसारके धोका म परल ब्याला तुहिन,
चोखो मैंयाके लाग तरपल प्यासी देख्नु ।
ख्रीष्टके मात्रा म क्रुस बोकल ब्याला,
सारा जीवन सौंपल येशूक दासी देख्नु ।
स्वर्ग राज्यके लाग सब त्यागके,
ख्रीष्ट येशूमे तुहिन अविनासी देख्नु ।
गजल २३
मै मुलेसे फे मैयाके शब्द बोल्टी रने बा ।
शरिर माती बन्जाई तर फाेंटु हँँस्ती रने बा ।
दुनिया चाहे जसिन सोेच्ले से फेन,
येशुके मैया के सन्देश फैल्टी रने बा ।
जीन्दगी आँशुके लडिया मे बहले से फेन,
मोर दौड जीन्दगी भर चल्ती रने बा ।
संसार चाहे मही टुक्रा–टुक्रा परले से फे,
सु–समाचार के आवाज चिल्लैटी रने बा ।
मही आगी म जरे पर्ले से फेन यहाँ,
ख्रीष्टियन हुकनके जोस दन्कती रने बा ।
गजल २४
परदेशी हु मैयक चिन्हा छोरके जैम ।
सँग–संगे अपन शरिर बिर्सरके जैम ।
न राेईहो तु मोर छाटी मे चपत के,
तुँहार चोखो मैंया हृदय मे लेके जैम ।
जोस मे येशुके लाग तुँहार नेगाई,
दुई आखिक बिन्दु मे खिचके जैम ।
ना सम्झहो अकेली, रोईती रहल बेला,
तोहार आँश पोछके सँगे–सँगे रोके जैम ।
जब सम बतु तब सम मै संसार मे,
टुहार सामु मैयक फुलरिया सजाके जैम । गजल २५
मन टुटल बेला राेईटी सँस्ना प्रयास कर्नु ।
मनक चोट नुकैटी मुस्कुरैना प्रयास कर्नु ।
जीन्दगीक यात्रा मे दुनियक प्रहार से,
गिरके घुस्करिया कर्ती नेग्ना प्रयास कर्नु ।
चारु ओरसे गोरा टनुइया रलेसे फेन,
काँटाके दगरमे पैला सरना प्रयास कर्नु ।
सम्बन्ध बिछोड करैना दुष्टके जालतुरके,
येशू ख्रीष्टके प्रेम जोरना प्रयास कर्नु ।
मनमे आधी बौछार अईलेसे फेन,
छाती पकरके मन थम्ना प्रयार कर्नु ।
गजल २६
येशूक मैया दुनियामे फैलैना आँट देलो ।
दुःख कष्टमे मही सहासीके जात देलो ।
स्वर्गीय इनामके लाग दौरल ब्याला ,
जीन्दगीक यात्रामे थम्ना उ हाँत देलो ।
सुन सान लागत संसार, यात्रा कथिन बा,
पल–पल साथ देना संघर्याके नात देलो ।
संसार के प्रहार से जीन्गी टिट हुईल म,
मन हन मिठास करैना उ बात देलो ।
चारु ओरसे घेरके लतपताईल,
सारा समस्याके बन्धन हे कात देलो ।
गजल २७
आपन स्वरुप ओ प्रतिरुप म बनैलो टुं ।
मोर लाग फुलै फुलके बयिया सजैलो टुं ।
बेसाहारा म निरास होके घुम तहु मै,
असल सहयोगी देके मही हसैलो टुं ।
अन्जान संसारमे नाश हुईती रहुँ,
येशू ख्रीष्टके द्धारा मही बचैलो टुं ।
घृणा ओ बदनाम मे ठिचल ब्याला,
आपन सामर्थी हाँथले उठैलो टुं ।
मन टुटके आँशुमे दुबल जीन्गी मे,
आपन सत्य मैयाले मही अंगल्लो टुं ।
गजल २८
मोर जीन्गीके लाग तुहाँर सोचाई मजा लागल ।
मधुर मिठास बोल्ला तुंहार बोलाई मजा लालग ।
दुनिया महि घृणा ओ तुच्छा थन्ले से फेन,
तुहांर मयालु आंखीक हेराई मजा लागल ।
जीन्दगी टिट, होके मन दुःखी हुईल ब्याला,
मन खुशी करैना तोहार हँसाई मजा लागल ।
मैंया ले सँवार अमूल्य जीन्दगीक सफरमे,
तोहार सुन्दर पाईलाके नेगाई मजा लागल ।
आशाा ओ खुशी हेराईल मनैनके माझ,
लौवा जीवन देना बसाई मजा लागल ।
गजल २९
स्वर्गीय मुकुटके लाग दौरल बटुँ ।
हरदम ज्यानके बाजी ठोकल बटुँ ।
नै रुकी कडम केकरो धम्की से,
उहाँके शक्तिमे पाईला चालल बटुँ ।
ना दर हो मृटुके ना त नरगके,
ई जीवन ख्रीष्ट मे सौपल बटुँ ।
अन्तिम सांस समके दौड हो,
अपन हृदय जोसले भरल बटुँ ।
कोई छुताई नै सेकी येशुसे मही,
जुनी–जुनीके लाग नात जोरल बटुँ । गजल ३०
महान अज्ञा संसार म फैलैना आँट कहाँ ।
ख्रीष्टके दुःख–कष्टमे रमैना जात कहाँ ।
स्वर्गिय मुकुटके लाग यहाँ दौरल बेला,
जीन्दगीक यात्रा म उठैना उ हाँत कहाँ ।
स्वार्थी यी संसार क यात्रा कथिन बा,
पल–पल साथ देना संघर्याके नात कहाँ ।
घृणित होके जीन्दगी उदास ब्याला,
मनहे मिठास करैना तुहाँर बाट कहाँ ।
गजल ३१
मनमे रोईले से फेन, तुहार हसाई कत्रा मजा ।
हृदयमे चोट रलेसे फेन, बोलाई कत्रा मजा ।
दुनियामे सतावत ओ दुःख रलेसे फेन,
भलाईके लाग, तोहार नेगाई कत्रा मजा ।
परमेश्वरसे मनैनके सम्बन्ध बिगरल बेला,
मिलाप करैना तोहार सोचाई कत्र मजा ।
जीन्दगीक आँधी बौछार से सँघर्ष करके,
मैयक खबर सुनैना उ दौराई कत्रा मजा ।
दुःख भुंख पीयास मे तरपल बेला फेन,
सुःख शान्तीके खबर कहाई कत्रा मजा ।
गजल ३२
थकित बाटुँ संसारमे शान्ती खोजे देउ मही ।
मन्जुरी से येशूमे जाई देउ, की मारदेउ मही ।
क्षणिक जिन्दगीमे स्वतन्त्र होके जीना चहथु,
सेक्तो कलेसे मुक्ति देऊ, नैते छोरदेऊ मही ।
दुई दिन्के जिन्दगीमे हँस्ता ओ रमैना चहथु,
खुसी ओ आनन्द होके गित गाईदेउ मही ।
येशू म लौव जीवन सुरु कर्ना मन बा,
सेक्तो ते साथ देऊ, की बिडादेऊ मही ।
जीय नै सेकम आप अशान्ती दुनियामे,
बाईबलसे मोर जीन्गी सजाईदेउ मही ।
गजल ३३
शान्ती मे बाच चहथु दगर देखादेऊ मही ।
छतपताईत मन सत्य प्रेमीे चिन्हदेऊ मही ।
जीवनके मुकुट पाके स्वर्गमे रमैना चहथु,
मुक्तीदाता येशूके सामु लैजादेऊ मही ।
दुःख–सुख ओ अभाव से सँघर्ष करल बेला,
दयालु परमेश्वरके चरणमे लागादेऊ मही ।
घृणा ओ तुच्छ से जीन्दगी उजरल ब्याला,
हरपल प्रेमी येशूक प्रेमसे सजादेऊ मही ।
गजल ३४
अंन्धकार हे हताई उठी हम्रे सबजे ।
एकताके धागा नाँठी हम्रे सबजे ।
रीस डाह झैं–झगरा हताईक लाग,
समाजमे प्रेमके माला गुँठी हम्रे सबजे ।
सुघ्घुर घर समाज बनाईक लाग,
अपन मन बिचार माठी हम्रे सबजे ।
संसारहे बचैना उद्देश्य लेके यहाँ,
ख्रीष्ट के हृदय पाठी हमे्र सबजे ।
आघक बात लेके विकासक लाग,
एक जुत होके बैठी हम्रे सबजे । गजल ३५
येशूक बाणी एक–एक पुरा हुईने बा ।
उहाँ म बिश्वास करुईया बच्ने बा ।
भुखमणी ओ अनिकाल होके यहाँ,
लुट पाटके बगाल फे फैल्ने बा ।
भाई–भाई के मैया प्रेम हेराके यहाँ,
हत्या हिन्सा, आतङ्क फे बहर्ने बा ।
जब हुई अन्तिम दिन, सारा देशमे,
युद्ध ओ भुईचाल फेन मच्ने बा ।
येशुक कारन बदनाम सहुइया,
स्वर्गगिय पहुरा भेताके हँस्ने बा ।
गजल ३६
लावा जीवन येशुमे पाके बच्ना मन लागल ।
मनके चोट मेटल आप हाँस्ना मन लागल बा ।
दुःखी रहे जीन्गी आभागी रहे मोर करम,
येशुक आसा पाके आप बच्ना मन लागल ।
बचना आधार कुछ नै रहे मोर जीन्गिम,
येशुक साथ पाके, जोस कस्ना मन लागल ।
मनैन के स्वार्थी झुठ मैयाम धोखा पाके,
येशुके मैया दिल मे चस्ना मन लागल ।
सारा समस्या से छुटकारा पाके जीन्दगी मे,
परमेश्वरके हथियार लेके नेग्ना मन लागल । गजल ३७
अपन लाग नाही येशुके लाग जीडेलो टुं ।
अपने रोके येशुक लाग हाँस डेलो टुँ ।
दुनियाके रमझमसे सँघर्ष कर–करके,
येशुके लाग आपन इच्छा मास डेलो टुं ।
दुःख कष्ट अनिकाल म जीअ पर्लासे फेन,
संसारके बिच मुक्तिके प्रचार करडेलो टुं ।
मनै यहाँ घृणा ओ बदनाम कर्लसेफेन,
सृष्टी कर्ता ख्रीष्टके साक्षी बनडेलो टुं ।
दुनिया चाहे नै मजाले हेर्लेसे फेन,
अपन मयालु सफा मनले हेरडेलो टुं ।
गजल ३८
दुःखके भुमरीमे परल रहुँ टुंहार हाँत चाहलरहे ।
कुक्तिके लाग चिल्लाईतहु तुहार बाट चाहलरहे ।
मैया के भिख मगतहुं दुई हाँथ जोरके तोहार ठन,
प्यासी रहुं तरप तहु टुंहार मैयाके सोत चाहलरहे ।
लाखौ चोटके पिडासे रोई तहु रात दिन मै.,
आँश पोछदेना संघरिया के नात चाहलरहे ।
दुनियामे उजरल तुटल झोपरीमे बैठल बेला,
स्वर्ग के लाग दौरना टुहार आँट चाहलरहे ।
मन उदास ओ अनुहार मलिन हुईल बेला,
तोहार आशिर्वादके बरसात चाहल रहे ।
गजल ३९
दर नै हो मृतुके ख्रीष्ट यशुमे बच्ना बा ।
बन्धन से मुक्ति पाके स्वतन्त्र जीना बा ।
ख्रीष्ट के कारण शरिर टुक्रा हुईलेसे फेन,
उहाँके दोस्रो आगमनमे पुनरुन्थान हुईने बा ।
पापी दुनियामे तरप तरपके जीए परी तर,
नयाँ संसार स्वर्ग देश मे अनन्त रमैना बा ।
विश्वासके कारण घृणा ओ बदनाम हुई तर,
स्वर्गीय ईनाम जीनके मुकुट मिल्ना बा ।
रो–रोके जीन्दगी बिती यी दुनिया मे तर,
अन्त म येशुके सँग स्वर्ग म हँस्ना बा ।
गजल ४०
आशा करहो येशु हली अइने बाट ।
आपन सँग स्वर्ग म लैजिने बाट ।
येशुक महान अज्ञा म लागल रहहो,
अन्तमे विजयके मुकुट पहिरैने बाट ।
निरास हो ब्याकुल ना हुईहो टुं यहाँ,
आपन शान्ती येशु टुहाँर म छोर्ने बाट ।
पवित्र जीवन म सदा लागल रहहो,
अन्त म उहाँ तुहन स्विकर्ने बाट ।
धैर्य करहो अन्तके दिनमे तुहिनहे,
आदर सम्मानके मुकुटसे सजैने बाट ।
गजल ४१
मुक्तिदात्ता येशुसे मैया लगाई पुग्न ।
सदाके लाग हृदय मे सजाई पुग्नु ।
दुनियाके रमझम मे हेराईल रहुं,
ख्रीष्टके सामु जीन्गिसे लजाई पुग्नु ।
आनन्द ओ खुशी पैनु ख्रीष्ट येशुसे मै,
आपन संगे–संगे सँघर्यन हे हँसाई पुग्नु ।
फरक जीन्दगी फरक पैनु सब ख्रीष्टमे,
लावा जीवन पाके, सँघर्यनहे नचाई पुग्नु ।
मुक्ती दाता, उद्धार कर्ता, संसारके ज्योतीहे,
जीन्गी मे हार खाईल मनैंन चिन्हाई पुग्नु ।
गजल ४२
जोसमे पवित्र जवानी लुटाके का पैवो ।
दिन समय गैल मे टुं पस्टाके का पैबौ ।
सत्य मैयाके नातक करके जिन्गी भर,
अन्तिम हुइलमे आसा डेखाके का पैबो ।
ओज्रारमे काम कर्ना मौका गुमाईल मे,
जिन्गीक अँधरियामे दिया बारके का पैबो ।
उद्धार मुक्ति के जरुरत परल बेला,
दिल मे औरे जहन सजाके का पैबो ।
स्वार्थी दुनिया के पाछे लागके टुं,
बिना कारण मन जराके का पैबो ।
गजल ४३
संसारमे मुक्ति के प्रचार मन परल ।
तुहार सुन्दर पाईलाके सफर मन परल ।
संसारमे अहंकारी हेराइ हुकनके सामु,
तुहार मायालु हेराईके नजर मन परल ।
समाजके दुष्ट ओ भ्रष्ट मार्ग हे त्यागके,
मिलाप करैना तुहाँर दगर मन परल ।
सुख दुःख से बिटल जिन्गी तुहाँर सँग,
प्रतिज्ञा करल सोनक सहर मन परल ।
घृणा ओ बदनाम सारा सह-सहके,
नच्ना ओ गैना तोहार रहर मन परल ।
गजल ४४
मैया कर्थो कलेसे नास हुईनासे बचाउ महि ।
शान्ति आनन्द ओ जिवनके दगर देखाउ महि ।
रात दिन तुहार प्रतिक्षा म बैठल रथुं मै,
दुनिया रिसैले से फेन येशू म लैजाउ महि ।
पापी संसार मे लतपाताईल जिन्गी हे,
येशूक पवित्र सत्य मैया से सजाउ महि ।
घिन लागत स्वार्थी दुनिया से महि आप,
निस्वार्थी प्रेमी येशूक कथा सुनाउ महि ।
ठिचल बातु दबल बातु मै यहाँ हरदम,
सेक्बो कलेसे हात पकरके उथाउ महि ।
गजल ४५
जिन्दगीक अन्तिम होगैल बेला तु अईलो ।
बैश मरल जवानी धल्गैल बेला तु अईलो ।
आशा रह तुहार साहार के हात पकर्ना,
हाथम तेक्नी ठाम्गैल बेला तु अईलो ।
तोहार आईना अस्रा हेर्नु जिन्दगी भर,
आँखि के रोस्नी उरगैल बेला तु अईलो ।
सँगे नेगना, जिना मुना सोच रहे,
अन्तिम सास रहगैल बेला तु अईलो ।
उ ओठसे येशूक सन्देश सुन्ना मन रहे,
सुन्ना शक्ति चलगैल बेला तु अईलो ।
गजल ४६
राजा येशूके लाग तयार हुईना कहिया हो ।
उहाँके सँग जाईक लाग सपर्ना कहिया हो ।
हली अईना बाचा बतिन येशु राजाके,
घर अँगना तनमन सारा सजैना कहिया हो ।
तुरहिके अवाज ओ स्वर्ग दुतके सँग अईही,
अपन सखी सहेली हुकन बतैना कहिया हो ।
अचानक हुई दुलहा येशू राजा के आगमन,
आपन विश्वासके दिया बरैना कहिया हो ।
उहाँमे उद्धार मुत्ती पाके रमाईल बेला,
बाजा बजाके सँघर्यन नचैना कहिया हो ।
गजल ४७
यहाँ विदाई हुईना बात का करे करथो ।
सबसे नाता तुरना बात काकरे करथो ।
सुःख-दु:ख मिलन बिछोर चलटी रहठ्
जिन्गीमे हार खैना बात काकरे करथो ।
जिन्गी जित ओ हार के सँघर्ष हो,
दौरमे गिरना बात काकरे करथो ।
रुवाई के साथ जन्म हुईत संसारमे,
बसाई अन्त सरना बात काकरे करथो ।
साँस रहत सम आस पली रहत,
बिच्मे दम छोरना बाट काकरे करथो ।
गजल ४८
तरपति रहल व्यक्तिन के तलासमे दौरटु ।
काकरु भुख अभाव ओ प्यास मे दौरटु ।
कौनो खतराके दर नै हो न मृतुके,
ज्यानके बाजी लगाके बेहोस मे दौरटु ।
हात बा उहा के समर्थ बा उहाँ के,
उहाँके भरोसा करके साहास मे दौरटु ।
बेर्थ नै हो परमेश्वरके काम ओ सेवामे,
स्वर्गिय मुकुत ओ ईनाम के आसमे दौरटु ।
उहाँके सुरु करल दगर हे मै अपन,
लक्ष्य बनाके अन्तिम साँस मे दौरटु ।
गजल ४९
हृदय मे जोस के दिया बारल रहहो ।
भ्रष्टाचार ओ अत्याचार से लरल रहहो ।
ख्रीष्टके शक्तिमे सारा काम करके,
बिश्वासके जर अरगरसे गारल रहहो ।
अन्तिम सास सम्मके यात्रामे टु,
सु–समाचार के पाईला सारल रहहो ।
आत्मा मे प्रज्वलित जोसमे भरके,
परमेश्वर के सेवा करल रहहो ।
ख्रीष्टके सेनाके अधिकार पाके,
उहाँके सार हथियार भिरल रहहो ।
गजल ५०
तुहार आँखी म तलबलाईत आँश देख्नु ।
तरपल उ मनमे मैयाके प्यास देख्नु ।
ख्रीष्ट के लाग रात दिन दौरल बेला,
जिवन मे सुुख शान्ति के आस देख्नु ।
मुक्ति के सन्देश लेके निकरल बेला,
घर ना डुवार जहाँ रात वहाँ बास देख्नु ।
दुःख कष्टके जिन्दगीक यात्रमे,
आँस गिरैटी खाइल गाँस देख्नु ।
मनैनसे पिसल ओ ठिचल बेला,
बच्ना आसमे लेहल उ साँस देख्नु ।
गजल ५१
तुहार हात पकरके जैनास मन लागल ।
येशू म महिन फेन रमैनास मन लागल ।
संसार के सारा पाप अपन उप्पर लैलेना,
मुक्तिदाता येशूक बारेम जन्नास मन लागल ।
अनन्त जिवनके यात्रा म यी संसार मे,
तुहार सँग क्रुस बोक्नास मन लागल ।
मुक्ति के सु–समाचार सुनैती नेग्ना,
पाइलामे पाईला मिलैनास मन लागल ।
बोझले दबल ओ ठीचल जिन्गी,
उहाँ हे देके सँवरनास मन लागल ।
गजल ५२
मने मन मे रोके ओठ मे हाँसल बटु मै ।
येशू द्धारा मनम आनन्दित हुईल बटु मै ।
बितल बात मन हन तरपाईल बेला,
ख्रीष्ट येशूमे शान्ति पाईल बटु मै ।
संसारमे जिन्दगीसे हार खाईलसे फेन,
स्वर्गिय मुकुट के आसमे रमाईल बटु मै ।
दुनिया के मैया मे धोखा पाईल बेला,
ख्रीष्टके चोखो मैयामे सजाईल बटु मै ।
बर्षौ से उकुस मुकस हुईल उ,
मनक बात हे बहाईल बटु मै ।
गजल ५३
तुहार सामु येशूक बात सुनाउ कसिके ।
रोईती रहल बेला तुहीन हँसाउ कसिके ।
विशाल संसार मे तु कहाँ बटो मै यहाँ,
ख्रीष्टके चोखो मैयासे तुहीन सजाउ कसिके ।
संसारके लाग उहाँ के बलिदानिय प्रेमके,
क्रुस मे बहल रगतके कथा बताउ कसिके ।
छोप के छोप नै जिना उ सत्य घटना हे,
तुहार नजर के सामु लैजाउ कसिके ।
पुर्णिमाके चाँद जैसिन तोहार अनुहार,
औँसिक रात मे चम्काउँ कसिके के ।
गजल ५४
महि देखके दुरेसे खरक्के नेगलो तु ।
स्वर्ग जैना दगर महि नै बतैलो तु ।
स्वार्थी बिचार मे महि खेलौना बनाके,
मोर सारा पवित्र जवानी लुतलेलो तु ।
जिन्दगी भर साथ देना हाँठ पसारके,
विच दगरमे लैजाके छोरदेलो तु ।
नातक रहे तुहार प्रेम झुठ बाचा कर्के ।
मोर अमूल्य जिन्गी हे लाहास बनैलो तु ।
हजारौं सपना सजैलो जिन्दगी मे,
आखिर मे घर ना घातके करैलो तु ।
गजल ५५
हरेस ना खैहो येशू के साथ पाके ।
कबु नै छुटना समर्थी हात पाके ।
अलगाईल बतो यी संसार से,
उहाँ के सन्तान के नात पाके ।
बाचल बतो पलपल यी दुनिया मे,
उहाँ के जिवन देना बात पाके ।
अन्धकार दुनिया मे चम्कतो टुँ,
उहाँके पवित्र सन्तानके जात पाके ।
जिन्गी मे ठेस लागत, चोट लागी,
सदा विजय हुईबो उहाँके आँत पाके ।
गजल ५६
शरिरके रुप रंग धिरे धिरे हेराजाई गोचा ।
दुई दिनके जिन्गी एकदिन चलजाई गोचा ।
परमेश्वरके प्रति स्वरुपमे बनल जिवन,
उहाँ के पुत्र ख्रीष्टमे बचाजाई गोचा ।
ना धन हो हमार ना घर हो हमार यहाँ,
एक दिन सब कुछ बिला जाई गोचा ।
लेप होजाई यी सारा दुनिया तर,
ख्रीष्टके लावा संसार सजाजाई गोचा ।
विश्वासके दौर पुरा करुईया हुकन,
अन्तमे पुनरुत्थान कराजाई गोचा ।
गजल ५७
येशू के विरोध करल टोहाँर बोलाई मजा ।
रिसाके हेरल आँखिक तुहार हेराई मजा ।
आउर जहन प्रसंसा कर्ना तुहार ओठ रलेसे,
महि देखके घृणा कर्ना तुहार थुकाई मजा ।
मोर सामु हाँसके मिठ बात करलेसे फेन,
पाछेसे नुक्के मारल तुहार मराई मजा ।
सफलता के लाग ताली बजैना हातले,
महि मारल टोहाँर हाठके पिटाई मजा ।
सुःख शान्ति महलमे बैठल परी टुं,
मोर दसामे हाँसल तोहार हँसाई मजा ।
गजल ५८
ख्रीष्टीय जिवन हार नै जित हो ।
उद्धार मुक्ति पाईल पाप रहित हो ।
दुःख सुख मिलन बिछोरके यात्रामे,
जिन्गी हरदम समयके गित हो ।
परमेश्वरके योजना मे सिर्जल शरिर,
दोसरके भलाई कर्टि जिना रित हो ।
दुनिया मे रहल समय यी जिन्गी,
ख्रीष्ट येशू के पहिचान के हित हो ।
दुई दिनके जिन्गी माटीमे मिल्जाई,
दुःख ते खुःशी जीन्गीक मित हो ।
गजल ५९
येशूके लाग आँखी रसाईल भेतैनु ।
उहाँके लाग हृदय सजाईल भेतैनु ।
जुनि जुनि भर सम मैया करम कैके,
सदाके लाग मनमे बसाईल भेतैनु ।
क्रुस मे बलिदान होके देहल मैया,
हृदयके भित्तर चम्काईल भेतैनु ।
जिन्गी भर साथ देना बाचा करके,
दुःख कष्ट मे फेन रमाईल भेतैनु ।
अपन मन के मन्दिर मे तुहिन,
बैठ्ना बिछौना बिछाईल भेतैनु ।
गजल ६०
बिदा हुइटुँ आझ मैयाँ ना मरहो ना ।
जरुर भेंट होब अस्रा ना छोरहो ना ।
राटदिन भुख पियासमे संघारल अस्रा,
डिलके कोनुवाँमे सजाके ढरहो ना ।
अगर याद आइ मोर टुहिन कलेसे,
मोर पठाइल पहुरा उघारके हेरहो ना ।
अन्जानमे मन दुखाइ पुगैम कलेसे,
मैंयाँ मानके कहल शब्द सोंचडेहो ना ।
परमेश्वरके इच्छा पुरा होए ढरटिमे,
साहित्य निखारके लाग दुवा करहो ना ।
ओरागैल ।
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