याद आइठ हुँकार, जेकर संग भिन्सार सम संगे रना करि । दिनभर हम्रे डुर रलेसेफेन हर संन्झा भेंट हुइना करि । हुकारे संग लिख्ना पहर्ना करजाए । महि ओजरार देखुइया उहे रहिन, उ आघे आघे मै पाछे पाछे महि डग्गर डेखुइया उहे रहिन मने आप जने कहाँ बटिन, कहाँ गैलिन ।
बाट हो दिया के जोन दियक साहारासे हमार आजा पुर्खा जिन्गि कट्लै । आज उहे दिया देख्ना सिहिनि हुइलबा । पहिले उहे दियक बरे इज्ट रहे । तमाम मेरिक मुर्ति बनाके ओमहे दिया बनाइल बरे सोहाउन बिल्गाए । काँसक बनाजैना दियामे पानस दियाके बरे खोजि होए । हाँथि, घोरा, मजोर, मुर्घा, परेउना बनाइल ओ ओइनके पिंठिम कपारिम बाटि डर्ना बनाइल रना । अत्रे किल नाजि ओइनहे नठिया फेन घलाइल डेख्जाए । हर घरेम हर कोन्टिम दिया देख्जाए । उहे दिया से जुरल बहुट जहनके कहानि फेन बनगिल बटिन । दिया हे साक्षि ढारके बाचा कर्ना चलन अभिनफेन पलिबा । जस्टके भोज कौनो कार्यक्रम, उट्घाटन करेब, पुजापाठ् करेबर दिया बारजाइठ् । दियाके अल्गे मान मान्यता बतिस मने उ पानस दिया, ढेबरि, टुकि के भेलो नै हो । जेकर साहाराले पुर्खालोग जुनि कट्लै । अत्रे किल नाहि हरघरेक भितम दिया ढर्ना अरुवा, खोभरि देख्जाय मने आप उ देखति सुहाउन दिया हो ना अरुवा खोभरि । मने आज फेन उहे दियक उधारण डेठै जस्टक दिया अप्ने जरके औरक जिन्गिम ओजरार कैलेरहठ ओस्टके हम्रे फेन समाजमे एकठो दिया जस्टे बनेपरठ टप हुइ हर गाँउ समाजमे सान्ति ओ उन्नति । ....✍️ संगम चौधरी
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