लकडाउन पछेक बर्खा मजासे स्वतन्त्र होके लगाब कना किसानके सोचाइ गडबडा गैल बटिन । ढुरेढुख्खुन खेत्वक मेरुवम बैठल उप्पर टोंटा कराके बद्रि नैहेर्ना कौन किसान नै हुइ । असार लग्टिकिल धान लगैना सोछछके अघमने बियार छिटमे , किसानके चिन्ता हुइलागल बतिन । नेटके डेकाइल बर्खा फेन लभारे हो कठैं किसान । एक ओर पेट्रोलके भाउटे बरहल ओहोर भाउ पानिको भाउ बहरगैल बा । पानिक किराया टिर्ना हो कि डिलज पेट्रोल कहिके कवाल बटै किसान । हर मनैनके मुख्य अहार भाट रोटि निना हो जानके फेन सरकार किसान ओइन ओर ध्यान नै लगाइल किसान के गुनासो सुन परठ । किसान खेति नै करहि कलेसे किसान किल नाहि सक्कु देस बासिन बरे समस्या परेसेकि नाहि जरुर परि । किसान अपन ओ परिवार के गुजाराके लाग बन्जर धर्ति जोनके अनाज फरेना सिजन इहे बर्खा हो मने पानि नै बरसके हर फरहुवा चलैना मुस्किल बटिन । अब्बक लाग अत्रे बाँकि औरे बिसयमे बाट चल्तिरहि । 🙏 सेवा लागू ।......✍️ संगम चौधरी
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