गजल
टरपटि रहल मनैनके तलासमे डौरटुँ ।
काकरू भुख अभाब प्यासमे डौरटुँ ।।
कौनो खतरा के डरनै हो न मृटु के,
ज्यानके बाजि लगाके बेहोस मे डौरटुँ
हाँठ बा उहाँ के, सामर्थ ब उहाँ के,
उहाँके भरोसा करके साहास मे डौरटुँ ।
बेर्थ नै हो परमेश्वरके काम ओ सेवा मे,
स्वर्गीय मुकुट ओ आस मे डौरटुँ ।
उहाँके सुरु करल डग्गर हे मै अपन,
लक्ष्य बनाके अन्तिम सास मे डौरटँ ।
......✍️ संगम चौधरी
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