आजसे करिब २५ बरस पहिलक बाट हो । उ बेला मोर खोब बैँस आइल रहे नेग्ना घुम्ना भारि रहर रहे कुछ चिज के डर नै रहे । संघर्यन संग जहाँ मन लग्ना उहै चलडेना । उ समय मे जहोर टहोर गाउँमे भिडियो खोब चले जहाँ भोज उहै भिडियो बिना भिडियो के भोज नै रना । अस्टके भारि भारि ठारु गाउँम नाच होय डसिया मे सखिया टे मघेम मघौटा नाच । अत्रे किल नाहि उ बेला नाचक हारिक जिता कार्यक्रक चले । धेर गाउँसे नाचक टोलि आइट ओ अपन प्रटिभा डेखैना करिट । माघेम मघौटा-छोक्रा नाचक होए टे डशया मे सखियक पैया के ।
मै जवान रहुँ हाँठेम घरि कंढम रेडु बरे मजा जमना लागे । उ बेला थारु गित कमे रहे भिडियो के बाटे का कर्ना हो फिलिम कलक बौछार, जीवन एक लडिया हो अस्टे कुछ आइल रहे । धेर जसिन मनराम डाजु के गित सुनु । छोट मोट टेपरिकार्ड रहे उहिहे बेल्टम खोसके कानेम इयरफोन लगाके सुनजाए । मोर ठन ठारु गितके क्यासेट धेरे रहे फिलिम के एल्बम के मिला टमाम रहे । रहर भारि रहे उहे संगे छोटमोट क्यारा फेन रहे रिल डारके फोटु खिच्ना वाला । अभिन फेन उ बेलक खिचल फोटु पलिबा इ लेखमे डारल डसियक नाचक फोटु २५ बरस पुरान हो । मै इहे फोटुक सम्झनम इ लिके इ लिख्ले बाटु जब मै अपन जल्मल गाउँ कुन्डा गैल रहुँ । उ समय मोर भरखर बैँस आइल रहे मोर संग गित सुन्ना टेपरिकार्ड रहे ओ फोटु खिच्ना ६ सयके क्यामरा रहे उहे डुनु चिज बेल्टम खोसे बन्ना रहे मै फेन ओस्टके खोस्के नेगुँ । माहा हिरोहस लागे आँखिम चस्मा हाँठम घरि यात्रा कर्ना होन्डा साइकिल रहे ।
डिन समय रमैटि हँस्टि खेल्टि बिटटहे । मै अकेलि नै रहुँ हमार चार जहनके ग्रुप रहे । जो ग्रुप मनसे एक जे इ डुनिया मे नै हुइटै । याड करटु उ मामक छावा राम प्रसाद डाडुहे दु:ख लागट । सयड उ संकटकाल नै अइट टे मोर डाडा हमार संगे रहट । संगे घुमि खेलि हाँसि हम्रे, कबुकाल एक्ठो साइकिल मे चरुजे बैठके घुमे चल्डि साइकिल चलुया उहे रहे काहेकि डाडा भारि रहे । याड उ बेकल संगे खुजिक कोल्हुमे काम कर्लक । डिन राटके डिउटि रहे राट भर जागके गन्नक फाँनि बोके परे एक ओर जार एक ओर निन लग्ना ४/५ महिना जाने कसिक बिटजाए । गन्ना बोक्लक कंढा भैंसिक कंढा लागल हस होजाए ।
संगे काम करि हाँस्लि खिल्लि संकटकालके पाछे समयमे मै भारत के दिल्लि मे रहे लग्नु एकठो परदेशि जिवन । मन टे नै रहे अपन देश गाउँ घर आपन चम्पन लग्ना गित नाच छोरके जैना तर बाध्य होगैल रहे संकट काल मे अपन जिउ बचैना कर्रा रहे । जब मै 2002 मे दिल्लि गैनु महि बहुट याड आए अपन गाउँ ठाउँ के जब टिह्वार आए गाउँक याद आए सखिया मघौटा नाचके । तर संटक काल सबके जिना मुस्किल बनाडेले रहे राहरंगि कर्ना डुर के बाट रहे । संटक काल पाछे फेनसे हमार थारुनके संस्कृटी हे जगैना खोल्लै मने पहिलक जसिन हुइने सेकल । काकरे कि संकट काल बहुट जहनके घर उजार सेकल रहे । कत्राजे बिधवा होसकल रहिंट टे कत्रा जे छाइ छावा गुमा सेकल रहिंट टे कत्रा जे अनाथ होगैल रहिंट । रमाइ खोजले से फेन रमाइ नै सेकजिना उहे हँस्टि रमैटि बेला अपन मनैन के याद अइले से का मजा लगि । महि फेन अस्टे लागे अगर आज हमार संग उ सहिद हुइल डाडा रहट कलेसे कत्रा रमैटि ।
सयम बिट्टि जैना करम मे कोरोना फेल गिल इ कोरोना आउर ज्याडा संकटमे पारडेहल ठोरठार बचल खुशी फेनसे छिनलेहल । सबके मनेम डर छगैल एकेलि डुरे डुरे रना ओ डुरे से बोल्ना बना डेहल असिन हगैल कि छुहे फेन नै हुइना अपन मनैसे सम्बन्ध बिगार डेहल ना घरसे बार निकरे पैना नेगघुम करे पैना जिन्गि अन्टिम जस्टे लागेलागल । सब जे रमैना चहलै टर रमैना कौनो चिज नै उहे रहगैल मोबाइल । आज उहे मोबाइल से बाझल मैयाँ छुटैना मुस्किल होगैल बटिन बहुट जहनके । उहे मारे आब पहिलक जसिन ना गाउँम नाच हुइट ना कोइ सिखुइया बस उहे मोबाइल मे हेर्के चिट बुझाइ परट । बरे दु:ख लागट अपन थरुनके रहनसहन पहिरन ओ संस्कृटि बिलाइट डेख्के । ... ✍️ संगम चौधरी ।
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