मनके अवाज
गजल - ११
म्वाँर काल म्वाँर लाग बाँच परि कठो प्यारि ।
दुःख नुकाके मन भित्तर हाँसपरि कठो प्यारि ।
टुहार खुशि म्वाँर खुशि लुटहिँ कलसे औरजन,
बेदना के गित गैटि नाचपरि कठो प्यारि ।
भारि समस्या अइलसेफे जुनी जुनी नैछुट्ना,
अजम्बरि हमार माया गाँस परि कठो प्यारि ।
पल पल दुख्टि रना यी टुटलक मन भित्तर,
जिन्दगी के सक्कु पीडा साँच परि कठो प्यारि ।
म्वाँर काल म्वाँर लाग बाँच परि कठो प्यारि ।
दुःख नुकाके मन भित्तर हाँसपरि कठो प्यारि ।
अशोक रस्टेह्वा....✍️
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