लग्गन के मौसम
पटुहिया खोज्ना ओ छाइ लगैना बेला आइलेसे मनैनके रुप रंग नै हेर्के ओकर सम्पटि ओ पह्राइ मे बरे जोर लजर लगैठैं । चिन्ता , जिन्गि सुखमे बिटे कहिके । सबसे पहिले कै भैया बटैं, लौन्डा का काम करठ् । कत्रा पह्रल बा, पाले सेकि कि नै सेकि । अनेक से अस्टे अस्टे चिजिक खोज्नि रठिन । मने केकर भाग्यमे का लिखल बा उ केउनै जन्ठैं । किस्मटके खेल हो जिन्गि कठै ना जाने कब उ शिखर पुगट जाने कब समुन्दरके गहिराइमे डुबे सेकट । के जान्टा जिन्गिक खेल । सम्पटि ले मनै मजा बने नैसेकजाइट । धन ओ मन बहुट फरक बा । धन आखिँले देखा परट टे मनके बाट दिलमे लिखल रहट । जेकर दिल भारि बाटे भारि सोच भारि योजना लक्ष्य बनाके हिम्मट कर्के परगा सर्ले रहट । असिन मनैन कोइ रोके नै सेकट । ना उहीँ आँढि ना पानी, घाम ना जार रोके सेकट उ अपन लक्ष्य चिटैले अाघे नेगल रहट । कठेैं मैयाके जर ना फुँङ्गि, जात ना भात, ना उमेर हेरठ ना साँवर गोर्हर, ना ठुल ना डोंगिल मैयाँ म सब सुहावन बिल्गाइठ । मने ढेर जे सम्पटि ओ मजा बाटके खोज्नि कर्टैं जेकर कारन जिन्गि अचानक खोल्टामे गिरे पुगठ । कठै औरे जहनके गोरा टानट टानट अप्नेहे घुस्मुर पर्बो । उहे मारे अपन लक्ष्य योजना ओ अपन जिन्गिक बारे सोच्बो टे जरुर मिठ फल खाइ मिलठ् ।
सायड अस्टे हिम्मट कस्के नेगल मनै हुइट, अंकर चौधरी जी । ओ छाति ठोक्के अपन प्यारि हे अंगरि डेखैटि कहल बाट गजल के सैलिमे भेटैनु । बिट्कोर के हेरे बेर असिन मिलल् ।
चुम्भुकहस चप्कल रठो
मै भौंरा टुहिनहे फुला बनैम टे काकर्बो ।
टेम्ह्रि मे लोर्हके चल्जैम टे काकर्को
अपन बाबक् सम्पटिमे ढौंस ना डेखाउ टुँ,
एकडिन मै उहिसे ढेर कमैम टे काकर्बो ।
टोहाँर डाइ बाबक् आँखिक लजरके आघेसे,
टोहाँर घरसे एकडिन भगैम टे काकर्बो ।
टुँ मोर बिस्वास नैकर्ठो हेर्टि जाउ प्यारी,
एक डिन कचरिक बरिया खवैम टे काकर्बो ।
टुँ मोर आघे पाछे चुम्भुकहस चप्कल रठो,
जब लर्कक् बाबा हुँ कहिके बटैम टे काकर्बो ।
जानकी-८ जबलपुर, कैलाली
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