मोर जलम हुइनासे पहिले गाउँ बनुवाँ किल रहे । बाघ भालु फेन रहिंट । खर्ह, बेसर्मा खोबसे रहे । मोर जलम आमक् बगियम् हुइल हो मोर डाइ बटाइठ् । पहिले बरेभारि-भारि आमेक् रुख्वा किल रहे । टबे मोर नाउँ अमरहिया परगैल ।
सबजे महि अमरहिया कहिके जाने ओ चिन्हे लग्लाँ । मै छुटिमुटि बुक्रामे पहुर्नु । एक बुक्रा दुई बुक्रा हुइटि मै बर्हे लग्नु । जब मनै मोर बारेम पटा पैलैं टे कहाँ कहाँ से आके बुक्रा बनाइ लग्लैं । मै बरवार हुइ लग्नु ओ सुग्घुर सोहावन हुइ लग्नु । सबओर जोटखोट हुइ लागल । बरे सोहावन होगैल रहँु मै । चारुओरसे मेरमेरिक मनैनसे भरगैनु । कोइ दाङ डेउखरसे रहिंट टे कोइ पहारके टे कोइ कहाँक । मै मेरमेरिक जाटिनसे सोहावन होगैनु । सबजे अपन अपन चलन अन्सारके गिटबाँस कला संस्कृतिसे रमाइ लग्लंै । राना बस्टिमे होरिनाच महिनोसम नाचिट टे थारु ओइने सखिया, झुम्रा, छोक्रा नाचेम् भिरिंट । मै सबके संस्कृतिसे सजल रहुँ । परोसी गाउँसे मै सुघ्घुर रहुँ । सोहावन रहुँ । सबजे मोर प्रसन्सा करिंट । चारु ओरिक गाउँक मनै मोर सुन्दरताहे डेख्के लोभाइँट् ।
मोर गरगहना कलक जाटजटिनके कला सँस्कृति रहे । ओइनके भेस, भासा, पहिरन मोर इज्जट ओ सम्मान रहे । राना होरि नाचसे महिनोसम गाउँ चैनार लागे । ओइनके पहिराउ अँगिया, ओनियाँ, घँघरियासे सजल । हेरटि सोहावन । ओस्टके थारुनके गिटबाँस माँगर, मैना, सजना, ढमार गिटसे गाउँ जागल रहे । सखिया, झुम्रा, छोक्रा नाचेसे गाउँ चैनारे रहे । कुछ बरस टे मै संस्कृतिसे सिँगार पटार करल डुलहि हस रहुँ । मने ढिरेढिरे मोर गरगहना हेराइ लागल । पट्पटाइ लग्नु । झेल झुठ्ररार हुइ लग्नु । बिदेशी गिट संगिट मोर गरगहना माँगर, सजना, ढमार, मैना गिट ओ सखिया, झुम्रा, छोक्रा नाचहे भारि असर पारे लागल । ढिरेढिरे भल्मन्सान अँगना सुन हुइ लग्लिन । मन्ड्रा, मंजिरा, झाल कोइ छुए नैलागल । सखिया, झुम्रा, छोक्रा नाच नाचे ओ गिट गाइ बिस्राइ लग्लंै । मन बैराग करैना सजना, मैना, माँगर गिट सुन्ना सिन्हि होगैल । मंडरिया डाडुक् पुठ्ठम मन्ड्रा ओ नचुनिया भौजिक पुठ्ठम लहंगा, फरिया डेख्ना सिन्हि होगैल । गिट उठुइया मोर्हिन्या काकि डेख्ना सिन्हि होगैल । मनै मोर बाट काटे लग्लैं । पहिले अमरहिया असिन रहे ओसिन रहे । आप टे सुनसान होगैल । गाउँ समाजके एकता रहिन टे सारा गाउँक् किसन्वाँ किस्निन्यन मिल्के टरटिहुवार मंनाइँट नाचकोर करिंट ।
आप टे सुनसान होगैल अमरहिया कहे लग्लंै । जट्टिके मै अमरहिया पहिलक जसिन नैरहिगैनु । मोर गरगहना गिटबाँस नाचकोर सब हेरागैल । कट्रा मजा लागे उ बेला । जब मै सब जाटिनके मेलमिलापसे ओइनके गिटबाँस कला सँस्कृतिसे लौली डुलहि हस सपरल रहुँ । मने मोर मैयाँ मारके ढिरेढिरे सबजे बिदेशि गिटसंगिट ओर मोहन्याँ गैलंै । आपट टे मै एकठो राँर जन्नि हस होगैल बटुँ । मोर सिंगार सब उटरगैल बा । मै बरे गहिर सोंचमे बटुँ । आप कहिया सपरे पैम । महि के सपराइ ? मोर गरगहनाके खोजि के करि ? भलमन्सान अँगना चैनार के कराइ ? मन्डरिया डाडुक पुठ्ठम मन्ड्रा कहिया बोली ओ नचुनिया भौजिक लहंगा, फरिया कहिया फरफराइ ? मोर्हिन्या काकि कहिया घेघर फुलाफुला गिट गैहि । । मंगरहुवन कहिया भोजेम मागर गैहि । बर्खक सिजनमे कहिया सजना मन्कि ओ माघेम ढमार कहिया सुने मिलि । सखिया, झुम्रा, छोक्रा नाच कहिया जम्कि । कना बाटमे अस्रम मै अमरहिया गाउँ बटँु । अट्रै किल नाहि मै सक्कुओर ओजरार हुइ पर्ना बा । नेंगना घुम्ना डगर घाट मजा हुइ पर्ना बा । लडिया कुलुवामे पुल बनाइ पर्ना बा । टब हुइ मै अमरहियाके विकास । यि बाट सक्कु गाउँक भलमन्सा, महटाँवाँ, बरघर ओ गाउँ समाजहे बुझे परना बटिन । ओराइल ।
.....✍️ संगम चौधरी
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