लेखकके कलमसे...
आदरणिय सक्कु पाठक वर्ग ज्यु सबसे आघे राम-राम, नमस्कार ओ साहित्यिक अभिवादन!
आज महिहे एकदम खुसि लागल बा इ मानेमकि मै बहुट डिन, महिना ओ साल पाछे अपन प्रयासले हजुर हुँक्रनके समक्ष म्वाँर मनम लागल बाट ट कुछ सोचल ओ भित्रि मनके भावनामे आइल बाट हँ इ सब्से पहिलक म्वाँर कोशिसके पहुँरा थारु भाषके आघुनिक गजल संग्रह " मनके आवाज" अपनेनके सामु लन्ना जमर्को कर्ल बाटु ...।
गजल -१
डिलडिमागहे लठ्ठ बनैना जहरहो गजल ।
निरास मनहे बाचे सिखैना रहरहो गजल ।
एकओरो कवाके एकान्टमे बैठल बेला,
भित्रि मनके भाव बहैना रहरहो गजल ।
शब्द शब्दसे मोहन्याके कल्पनामे रमैना,
रंगि बिरंगि संसारके शहरहो गजल ।
विवशताओ व्यस्तताले मित्रता टुटल बेला,
पलपलमे अइटि रना यादके लहरहो गजल ।
डिलडिमागहे लठ्ठ बनैना जहरहो गजल ।
निरास मनहे बाचे सिखैना रहरहो गजल ।
अशोक रस्टेह्वा....✍️
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