नमस्ते स्वागत छ यस नयाँ भावना मा । धन्यवाद !
भावना
संघरिया कना नाट बरे बाझल नाट हो । जिन्गिम केकरो ना केकरो साथ जरुर चाहट । मनक बाट साँटिक साँटा करक लाग, हाँस खेल करक लाग, छुख समस्यामे परलमे संघरिया चाहट । हमन उत्साह सल्हा सुझवके लाग संघरिया चाहट ।
जब जिन्गि उडास ओ सुनसान अकेलि लागट टब हम्रहिन नेङनास घुम्नास पौहनि खैनास मन लागट ओ नाटपाँट के याड कर्ठि । खेले पहुनि खाइ जैठि ओ सुख डुखके बाट करके मन हलुक करैठि । अबक समएमे नाटपाटन से भेट कर्ना सजहे बा । मोबाइ से फोन करके एक डोसरके भावना बुझे सेक्ठि । बटाइ सेक्ठि ।
बिडा हुइटुँ आझ मैयाँ ना मरहो ना ।
जरुर भेंट होब अस्रा ना छोरहो ना ।
राटदिन भुख पियासमे संघारल अस्रा,
डिलके कोनुवाँमे सजाके ढरहो ना ।
अगर याद आइ मोर टुहिन कलेसे,
मोर पठाइल पहुरा उघारके हेरहो ना ।
अन्जानमे मन दुखाइ पुगैम कलेसे,
मैंयाँ मानके कहल शब्द सोंचडेहो ना ।
परमेश्वरके इच्छा पुरा होए ढरटिमे,
जिन्गिक परगाक् लाग दुवा करहो ना ।
संगम चौधरी....✍️
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