गुर्हि अस्रैना कार्यक्रम गाउँक निकास हुईना मुख्य चौराहामे करजाईठ । ई कार्यक्रम ठिक्के नाग पंचमि परेजाईठ । टबे मारे बहुट जहनके बिचार अइठिन थारु जाति असिके नाग पंचमि मनैठै । ई तिह्वार मनैना लक्ष एक्के हस बा । विस्वास बतिन असिके गुर्हि अस्रैले गाउँक डोख/दु:ख बेराम/रोग निकरके जाईठ ओ बिसहा किरा साँप गोजर से बचे सेकजाईठ । ठिक्के नाग पंचमिमे फेन अस्ते विस्वास सुनैठैं । मने हमार गुर्हि अस्रैना चलन फरल बा ।
थारुनके समाजमे इ तिह्वार फरक मेरके मना जाईठ । थारुन मुख्य पहिरन ओ गित नाचके साथ सारा घाउँक छोट से भारी मनैके बगाल रहठ । बरे चैनार रहठ उ बेला टबे मारे गजलकार विस्वदेव चिलरहुवा असिक गजल मे गुर्हिक बयान करले बटैं ।
मनके भावना गजलमे
असौक साल गुर्हि अस्रैटि मजा लागल ।
रंगिबिरंगि सोटासे ठठैटि मजा लागल ।
अपन संस्कृटिमे सजल भैया बाबुन से
ढोटि फरिया फेन फहरैटि मजा लागल ।
सक्कुजे लाइन लागके बाबु भैयन् संग
भुजा गुडा मांगके खओइटि मजा लागल ।
सालो साल मनैना इ बर्का तिह्वार मे
इटिहासके पन्नामे लिखैटि मजा लागल ।
भल्मन्सा अघरिया घर भराली सक्कु जे
झुम्रा गिटमे नाच मचैटि मजा लागल ।
कैलारी -३ खोनपुर कैलाली
एक टिप्पणी भेजें
0टिप्पणियाँ